Delhi Blast : दिल्ली कार ब्लास्ट की जांच आगे बढ़ने के साथ कई चौंकाने वाली बातें सामने आ रही हैं। ताज़ा खुलासों से पता चला है कि आतंकी उमर नबी अपने साथी आदिल राथर की शादी में इसलिए नहीं गया था क्योंकि आतंकी मॉड्यूल के सदस्यों के बीच विचारधारा, पैसों के इस्तेमाल और हमले की रणनीति को लेकर गंभीर मतभेद चल रहे थे।
विचारधारा को लेकर बड़ी दरार
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, डॉक्टर उमर नबी आतंकी संगठन ISIS की विचारधारा से प्रभावित था, जबकि बाकी सदस्य मुजम्मिल गनई, आदिल राथर और मौलवी मुफ्ती इरफान अधिकतर अल-कायदा की सोच से प्रेरित थे।
अलकायदा का ध्यान पश्चिमी संस्कृति और दूर के दुश्मन पर हमले पर होता है, जबकि ISIS नज़दीकी लक्ष्यों और खिलाफत की स्थापना पर जोर देता है। इसी वैचारिक टकराव के चलते उमर समूह से अलग-थलग पड़ गया था।
शादी में न जाना बना तनाव का संकेत
अक्टूबर में आदिल राथर की शादी थी, लेकिन उमर ने इसमें शामिल होना ठीक नहीं समझा। हालांकि, जब मौलवी इरफान को गिरफ्तार किया गया, तो अपनी स्थिति सुधारने के लिए उमर 18 अक्टूबर को कश्मीर के काजीगुंड में बाकी सदस्यों से मिलने पहुंच गया। माना जाता है कि इसी बैठक में आपसी संबंध थोड़े बेहतर हुए।
अफगानिस्तान जाने की नाकाम कोशिश
सूत्रों का कहना है कि उमर को छोड़कर बाकी आतंकियों ने अफगानिस्तान जाकर प्रशिक्षण लेने की कोशिश की थी, लेकिन वे इसमें सफल नहीं हो पाए। इसके बाद इन्होंने भारत में ही किसी बड़े टारगेट को निशाना बनाने का फैसला लिया।
उमर खुद को बुरहान वानी और जाकिर मूसा की विरासत का वारिस मानता था और 2023 से IED बनाने पर रिसर्च कर रहा था।
पैसों को लेकर भी थी तकरार
आतंकी मॉड्यूल में एक और बड़ी समस्या पैसों को लेकर पारदर्शिता की कमी थी। बताया जा रहा है कि बड़ी रकम अल-फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़ी लेडी डॉक्टर शाहीन शाहिद के जरिए समूह तक पहुंची थी, लेकिन उमर की जवाबदेही को लेकर बाकी सदस्य संतुष्ट नहीं थे।
काजीगुंड वाली बैठक के तीन हफ्ते बाद ही दिल्ली कार ब्लास्ट हुआ, जिससे माना जा रहा है कि उसी मुलाकात में सभी के बीच फिर से तालमेल बैठा था।
कितने आतंकियों ने दिया कितना फंड?
पूछताछ में मुजम्मिल गनई ने बताया कि 5 डॉक्टरों ने मिलकर करीब 26 लाख रुपये इकट्ठा किए थे ताकि देश के कई शहरों में धमाके किए जा सकें। लगभग दो साल तक वे लोग विस्फोटक और रिमोट ट्रिगरिंग डिवाइस खरीदते रहे।
अधिकारियों के मुताबिक, फंडिंग इस तरह हुई:
• मुजम्मिल गनई: 5 लाख
• आदिल राथर: 8 लाख
• अहमद राथर: 6 लाख
• डॉ. शाहीन शाहिद: 5 लाख
• उमर उन-नबी: 2 लाख
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