IND vs WI 2nd Test: भारत और वेस्टइंडीज के बीच खेले जा रहे दूसरे टेस्ट मैच के पहले दिन अरुण जेटली स्टेडियम में ऐसा नजारा देखने को मिला, जिसने सभी को हैरान कर दिया। जहां सामान्य तौर पर स्टेडियम खचाखच भरा रहता है, वहीं इस बार स्टेडियम लगभग खाली नजर आया। आंकड़ों के मुताबिक, पहले दिन सिर्फ 673 दर्शक ही मैच देखने पहुंचे – जो किसी भी भारतीय टेस्ट मैच के पहले दिन का सबसे कम दर्शक रिकॉर्ड बन गया है।
अरुण जेटली स्टेडियम की क्षमता और रिकॉर्ड
दिल्ली के अरुण जेटली स्टेडियम की दर्शक क्षमता करीब 35,000 है। लेकिन 10 अक्टूबर से शुरू हुए इस मुकाबले में इतनी कम संख्या में दर्शकों का आना क्रिकेट जगत के लिए सोचने वाली बात बन गई है। पहले कभी भारत में टेस्ट मैच के पहले दिन इतनी कम उपस्थिति दर्ज नहीं की गई थी।
क्या करवा चौथ बना बड़ी वजह?
10 अक्टूबर को देशभर में करवा चौथ का त्योहार मनाया गया। दिल्ली में इस पर्व का विशेष महत्व है। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि करवा चौथ की वजह से ही दर्शक स्टेडियम तक नहीं पहुंचे। त्योहार की वजह से बड़ी संख्या में लोग घरों में व्यस्त रहे और इसका सीधा असर स्टेडियम अटेंडेंस पर देखा गया।
रोहित-विराट के ना होने का भी असर
इस टेस्ट सीरीज में विराट कोहली और रोहित शर्मा जैसे दिग्गज खिलाड़ियों की गैरमौजूदगी भी दर्शकों की कम रुचि का कारण बन सकती है। फैंस का कहना है कि जब बड़े नाम मैदान पर नहीं होते, तो देखने का उत्साह भी घट जाता है। कोहली जब आखिरी बार दिल्ली में खेले थे, तो स्टेडियम पूरी तरह भरा हुआ था। इस बार दर्शक संख्या में आई गिरावट उसी की गवाही दे रही है।
पहले भी त्योहारों के दिन दर्शक कम आए
दिल्ली टेस्ट से पहले अहमदाबाद में खेले गए पहले टेस्ट की शुरुआत भी 2 अक्टूबर को हुई थी – यानी दशहरा के दिन। उस मैच में भी दर्शक अपेक्षा से काफी कम पहुंचे थे। लेकिन दिल्ली टेस्ट ने तो सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए और भारत में टेस्ट के पहले दिन की सबसे कम उपस्थिति दर्ज की।
घटती टेस्ट मैच की लोकप्रियता पर सवाल
यह रिकॉर्ड सिर्फ एक आंकड़ा नहीं, बल्कि एक संकेत भी है – कि भारतीय क्रिकेट में टेस्ट मैच के प्रति दर्शकों की दिलचस्पी लगातार घट रही है। आधुनिक युग में जहां टी20 और वनडे फॉर्मेट का क्रेज बढ़ा है, वहीं टेस्ट मैचों के लिए दर्शक संख्या में गिरावट चिंता का विषय है।
भारत और वेस्टइंडीज के बीच दिल्ली में खेला गया यह दूसरा टेस्ट मैच एक ऐतिहासिक लेकिन निराशाजनक रिकॉर्ड के लिए याद किया जाएगा। चाहे वजह करवा चौथ का त्योहार हो या विराट-रोहित की गैरमौजूदगी – लेकिन सच्चाई यही है कि दिल्ली टेस्ट ने दिखा दिया कि टेस्ट क्रिकेट में दर्शकों को वापस लाना अब भारतीय क्रिकेट बोर्ड के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुका है।
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