CM Yogi: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने प्रशासनिक कार्यशैली में पारदर्शिता और अनुशासन को लेकर एक और सख्त कदम उठाया है। आयुष मंत्री डॉ. दयाशंकर मिश्र ‘दयालु’ ने होम्योपैथी विभाग के निदेशक प्रो. अरविंद कुमार वर्मा को निलंबित कर दिया है। प्रो. वर्मा पर ट्रांसफर-पोस्टिंग में गंभीर अनियमितताओं के आरोप लगे थे, जिसे लेकर पहले ही मंत्री दयालु ने सारे तबादलों को निरस्त करते हुए जांच के आदेश दिए थे।
जांच में खुली अनियमितताओं की परतें
प्रारंभिक जांच में ही गड़बड़ियों की पुष्टि होने लगी थी, जिसके बाद आयुष मंत्री ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की और उन्हें पूरे मामले की जानकारी दी। सूत्रों के अनुसार, निदेशक वर्मा ने खुद को बचाने के लिए हरसंभव प्रयास किए, लेकिन सीएम योगी की ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति के चलते वे नाकाम रहे।
अंततः भ्रष्टाचार और लापरवाही के आरोपों के चलते उन्हें पद से निलंबित कर दिया गया। जल्द ही विभाग को नया निदेशक मिलने की संभावना है। इस कार्रवाई से साफ संकेत मिलते हैं कि योगी सरकार किसी भी स्तर पर अनुशासनहीनता और भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं करेगी।
नगर विकास विभाग में भी गिरी गाज
यह पहला मामला नहीं है जब योगी सरकार ने लापरवाही बरतने वाले अफसरों पर कड़ा ऐक्शन लिया हो। इससे पहले नगर विकास विभाग के भी कई अफसरों पर कार्रवाई की गई थी।
- वाराणसी के उप नगर आयुक्त जितेंद्र कुमार आनंद को सभी दायित्वों से मुक्त कर दिया गया।
- मुजफ्फरनगर नगर पालिका परिषद के कर निर्धारण अधिकारी दिनेश कुमार पर उच्चाधिकारियों के प्रति अनुचित व्यवहार करने के चलते ऐक्शन लिया गया।
- अलीगढ़ नगर निगम के उप नगर आयुक्त अमित कुमार सिंह को बिना अनुमति कार्यालय से अनुपस्थित रहने पर कार्रवाई का सामना करना पड़ा।
- नगर पंचायत कांट (शाहजहांपुर) की अध्यक्ष मुनरा बेगम को निकाय बोर्ड की बैठक में वर्चुअल माध्यम से शामिल होने पर कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।
लापरवाही और भ्रष्टाचार नहीं सहेंगे
इन कार्रवाइयों से साफ है कि योगी सरकार की प्राथमिकता पारदर्शिता, जवाबदेही और प्रशासनिक अनुशासन को बनाए रखना है। चाहे वह उच्च अधिकारी हों या स्थानीय निकाय के प्रतिनिधि—किसी को भी नियमों के खिलाफ जाने की छूट नहीं दी जा रही।
यह सख्ती न केवल प्रशासन में सुधार का संकेत है, बल्कि जनता को यह भरोसा भी देती है कि सरकार सुशासन के अपने वादे पर अडिग है।
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