Delhi News: देश की राजधानी दिल्ली में सार्वजनिक शौचालयों की बदहाल स्थिति पर दिल्ली हाई कोर्ट ने गंभीर चिंता जताई है। हाई कोर्ट ने इस मसले को लेकर नगर निगम (MCD), नई दिल्ली नगर परिषद (NDMC) और दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) की जमकर खिंचाई की है। अदालत ने इन एजेंसियों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि उन्होंने सार्वजनिक सुविधाओं के रखरखाव में घोर लापरवाही और संवेदनहीनता दिखाई है।
याचिकाकर्ता की तस्वीरों से हाई कोर्ट हैरान
मुख्य न्यायाधीश डी. के. उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ जन सेवा वेलफेयर सोसाइटी द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस याचिका में राजधानी में स्वच्छ जल, साफ-सुथरे और कार्यशील शौचालय, तथा बिजली जैसी बुनियादी सुविधाओं को सुनिश्चित करने की मांग की गई थी।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने कुछ सार्वजनिक शौचालयों की तस्वीरें कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत कीं। तस्वीरों को देखकर कोर्ट ने तीखी प्रतिक्रिया दी और कहा कि “यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश की राजधानी में शौचालयों की हालत इतनी दयनीय है।”
“कर्तव्यहीनता और असंवेदनशीलता की पराकाष्ठा”
दिल्ली हाई कोर्ट ने टिप्पणी की कि MCD, NDMC और DDA जैसी सिविक एजेंसियों ने अपने बुनियादी कर्तव्यों का पालन करने में गंभीर चूक की है। अदालत ने कहा कि इन एजेंसियों को बार-बार याद दिलाने की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए कि सार्वजनिक सुविधाएं उनकी जिम्मेदारी हैं।
कोर्ट ने यह भी कहा कि ये संस्थाएं जनता के पैसों से चलती हैं, लेकिन फिर भी सुविधाओं की हालत बद से बदतर होती जा रही है, जो कि पूरी व्यवस्था पर सवाल खड़ा करती है।
महिलाओं के लिए हालात और भी चिंताजनक
कोर्ट ने विशेष रूप से महिलाओं की समस्याओं पर चिंता जताते हुए कहा कि खराब सार्वजनिक शौचालय उनकी सुरक्षा, गरिमा और स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा करते हैं।
विस्तृत कार्य योजना बनाने के आदेश
दिल्ली (Delhi) हाई कोर्ट ने आदेश दिया कि MCD, NDMC और DDA अपने-अपने क्षेत्रों में सार्वजनिक शौचालयों की स्थिति में सुधार लाने के लिए एक व्यवस्थित, व्यावसायिक और विशेषज्ञों द्वारा जांची गई कार्य योजना तैयार करें। यह योजना स्पष्ट रूप से बताए कि किस तरह शौचालयों को लगातार उपयोग के लायक बनाए रखा जाएगा।
पेश की गईं शौचालयों की तस्वीरें
कोर्ट ने विशेष रूप से उन शौचालयों का जिक्र किया जिनकी तस्वीरें कोर्ट में पेश की गईं। उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिया कि इन सभी शौचालयों की स्थिति को तुरंत सुधारा जाए और उन्हें उपयोग योग्य बनाया जाए।
मोबाइल एप्लिकेशन बनाने का भी आदेश
हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि नागरिकों की शिकायतों को दर्ज करने और उन्हें ट्रैक करने के लिए एक मोबाइल एप्लिकेशन विकसित किया जाए, ताकि लोगों को समय पर राहत मिल सके और एजेंसियों की जवाबदेही तय हो सके।
ये भी देखें : ‘जंगलराज’ के आरोप पर तेजस्वी यादव का पलटवार !,क्या कह गए ऐसा?