PM Modi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज आचार्य विद्यानंद जी महाराज की 100वीं जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित शताब्दी समारोह का भव्य उद्घाटन किया। यह कार्यक्रम विज्ञान भवन, नई दिल्ली में आयोजित किया गया, जिसमें देशभर से जैन धर्म के प्रमुख आचार्य, सांसद, धार्मिक विद्वान और गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए।
यह आयोजन भगवान महावीर अहिंसा भारती ट्रस्ट के सहयोग से हो रहा है और यह एक साल तक चलने वाला राष्ट्रीय श्रद्धांजलि समारोह होगा, जो 28 जून 2025 से 22 अप्रैल 2026 तक चलेगा।
इस शुभ अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने लोगों को संबोधित किया और आचार्य विद्यानंद जी महाराज के जीवन, विचारों और कार्यों को आधुनिक भारत के लिए प्रेरणादायक बताया। उन्होंने कहा कि “आचार्य विद्यानंद जी महाराज सिर्फ एक संत नहीं थे, बल्कि वे समाज के पुनर्निर्माण के अग्रदूत भी थे। उनका जीवन तप, त्याग और सेवा का आदर्श उदाहरण है।”
जारी हुआ डाक टिकट और स्मृति सिक्का
शताब्दी वर्ष की शुरुआत के प्रतीक स्वरूप, इस कार्यक्रम में एक स्मारक डाक टिकट और विशेष स्मृति सिक्का भी जारी किया गया, जो उनके योगदान और स्मृति को चिरस्थायी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
कौन थे आचार्य विद्यानंद जी महाराज?
- जन्म: 22 अप्रैल 1925, शेदबल, बेलगावी (कर्नाटक)
- दीक्षा: बहुत ही कम उम्र में ग्रहण की और शीघ्र ही जैन धर्म के अत्यंत विद्वान और सम्मानित संत बन गए।
- विद्वता: उन्होंने 8,000 से अधिक जैन आगमिक छंद कंठस्थ किए और 50 से अधिक ग्रंथों की रचना की, जिनमें जैन दर्शन, नैतिकता, प्राकृत और शास्त्रीय भाषाओं से संबंधित विषय शामिल हैं।
- सेवा कार्य: देशभर में प्राचीन जैन मंदिरों के जीर्णोद्धार और शिक्षा संस्थानों की स्थापना में अग्रणी भूमिका निभाई।
- तपस्वी जीवन: दशकों तक नंगे पांव यात्राएं कीं, ब्रह्मचर्य, तपस्या और ध्यान का कठोर पालन किया।
जैन ध्वज के जनक
आचार्य विद्यानंद जी महाराज को आधिकारिक जैन ध्वज और प्रतीक के निर्माण का श्रेय जाता है। 1975 में भगवान महावीर के 2,500वें निर्वाण महोत्सव के दौरान उन्होंने सभी जैन संप्रदायों की सहमति से यह ध्वज और प्रतीक प्रस्तुत किया।
इस पांच रंगों वाले ध्वज और “अहिंसा” लिखे प्रतीक को आज पूरे जैन समाज में आदर और श्रद्धा के साथ अपनाया जाता है।
समारोह में क्या-क्या होगा?
आगामी एक वर्ष में देशभर में सांस्कृतिक, साहित्यिक और धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। इन आयोजनों के माध्यम से आचार्य विद्यानंद जी महाराज के जीवन, साधना, विचार और समाज सेवा के कार्यों को जन-जन तक पहुंचाया जाएगा।
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