Bihar Election News: बिहार में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं और इससे पहले चुनाव आयोग द्वारा चलाए जा रहे वोटर लिस्ट परीक्षण अभियान पर सियासी घमासान तेज़ हो गया है। जहां एक ओर विपक्ष इस अभियान को “छुपा हुआ एनआरसी” बता रहा है, वहीं एनडीए की सहयोगी और बिहार की सत्ताधारी पार्टी जदयू के भीतर से भी इस अभियान के खिलाफ आवाज उठने लगी है।
जदयू नेता खालिद अनवर ने जताई आपत्ति
जदयू के एमएलसी और पार्टी के अल्पसंख्यक चेहरे खालिद अनवर ने निर्वाचन आयोग द्वारा जारी किए गए प्रोफार्मा को लेकर कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि वोटर वेरिफिकेशन ज़रूरी है, लेकिन जिस प्रोफार्मा के जरिए यह किया जा रहा है, वह पूरी तरह गलत है। खालिद अनवर ने इसे एनपीआर और एनआरसी से जोड़ते हुए कहा कि 2020 में जदयू ने विधानसभा में एनपीआर के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया था और खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसे खारिज कर दिया था। उन्होंने साफ किया कि जो जानकारी इस प्रोफार्मा में मांगी जा रही है माता-पिता का जन्म स्थान और तारीख वह 2010 के एनपीआर फॉर्म से बिल्कुल अलग है और जनता के लिए परेशानी का कारण बनेगी।
उनका कहना है, “बिहार के गरीबों को माता-पिता के दस्तावेज दिखाने के लिए मजबूर किया जा रहा है, जो न सिर्फ मुश्किल है बल्कि अनुचित भी। नीतीश कुमार का विजन इस मामले में साफ है। वह ऐसी चीज़ों का समर्थन नहीं करते।”
अल्पसंख्यकों और वंचितों को निशाना
विपक्षी पार्टियां इस मुद्दे को लेकर आक्रामक हैं। राजद प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा कि यह (Bihar Election) अभियान चुनाव आयोग के माध्यम से बीजेपी की विभाजनकारी राजनीति को आगे बढ़ाने की साज़िश है। उन्होंने इसे “गुप्त तरीके से एनआरसी लागू करने जैसा” बताते हुए कहा कि “यह प्रक्रिया NRC से भी खतरनाक है। अगर वोटर लिस्ट से किसी का नाम हटा दिया गया, तो उसका राशन, छात्रवृत्ति, पेंशन सब बंद हो जाएगा।”
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी निर्वाचन आयोग पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा, “बिहार में चुनाव आयोग एनआरसी को गुप्त तरीके से लागू कर रहा है। अब हर नागरिक को यह साबित करना होगा कि वह और उसके माता-पिता कब और कहां पैदा हुए थे।”
जदयू के भीतर मतभेद?
हालांकि जदयू प्रवक्ता अरविंद निषाद ने पार्टी लाइन स्पष्ट करते हुए कहा कि पार्टी वोटर लिस्ट परीक्षण अभियान के पक्ष में है। उन्होंने कहा, “निर्वाचन आयोग की मंशा वोटर लिस्ट की शुद्धता और निष्पक्षता बनाए रखने की है। अभी तक पार्टी में किसी ने इस पर विरोध नहीं जताया है।”
विपक्ष ने बताया ‘वोट छीनने की साजिश’
विपक्ष का यह भी आरोप है कि चुनावी वर्ष में यह अभियान दलितों, पिछड़ों, अतिपिछड़ों और अल्पसंख्यकों का वोट छीनने की एक सुनियोजित साज़िश है। उनका आरोप है कि महाराष्ट्र की तरह बिहार में भी गड़बड़ी कर बीजेपी चुनावी फायदा लेना चाहती है।
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