Supreme Court: तमिलनाडु के एडीजीपी एचएम जयराम की गिरफ्तारी के मद्रास हाईकोर्ट द्वारा दिए गए निर्देश के खिलाफ याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस उज्जल भुइंया और जस्टिस मनमोहन की पीठ ने बुधवार को सुनवाई तय की है।
अग्रिम जमानत पर सुनवाई के दौरान गिरफ्तारी के आदेश
मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति पी. वेलमुरुगन की एकल पीठ ने विधायक एम. जगन मूर्ति की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए एडीजीपी एचएम जयराम को गिरफ्तार करने का निर्देश दिया था। अदालत का कहना था कि अपहरण के मामले में जयराम की संलिप्तता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
ADGP की गाड़ी और विधायक की कथित भूमिका
मामला तब सामने आया जब लक्ष्मी नाम की एक महिला ने अदालत में आरोप लगाया कि उसके बड़े बेटे ने एक लड़की से प्रेम विवाह कर लिया था। लड़की के परिजन कुछ बदमाशों को लेकर उसके घर पहुंचे, लेकिन जब लड़का और बहू नहीं मिले तो उसका छोटा बेटा अगवा कर लिया गया। मारपीट के बाद उसे घायल अवस्था में एक होटल के पास छोड़ दिया गया।
महिला ने यह भी दावा किया कि जिस वाहन से उसके बेटे को छोड़ा गया, वह तमिलनाडु के एडीजीपी का आधिकारिक वाहन था। इसके बाद विधायक एम. जगन मूर्ति पर भी साजिश रचने का आरोप लगाया गया।
ADGP की भूमिका सवालों के घेरे में (Supreme Court)
कोर्ट में पेश की गई रिपोर्ट के अनुसार, दो आरोपियों ने अपने कबूलनामे में एडीजीपी का नाम लिया है। इस आधार पर न्यायालय ने कहा कि यदि अन्य आरोपी पुलिस हिरासत में लिए जा सकते हैं, तो एडीजीपी को कानून से ऊपर नहीं माना जा सकता।
Supreme Court ने दी राहत की उम्मीद
मद्रास हाईकोर्ट के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) में चुनौती दी गई, जहां 12 जून को सुनवाई होनी है। इस बीच उच्च न्यायालय 26 जून को मामले की अगली सुनवाई करेगा।
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