Bengaluru Stampede: रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (आरसीबी) की आईपीएल जीत के बाद बेंगलुरु में आयोजित समारोह के दौरान हुए भगदड़ कांड ने कर्नाटक राज्य क्रिकेट संघ (केएससीए) को विवादों में डाल दिया है। इसी बीच संघ के दो वरिष्ठ पदाधिकारियों सचिव ए. शंकर और कोषाध्यक्ष ईएस जयराम — ने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पदों से इस्तीफा दे दिया है।
संयुक्त बयान में इस्तीफे की पुष्टि
दोनों पदाधिकारियों ने गुरुवार रात को केएससीए अध्यक्ष को इस्तीफा सौंपते हुए एक संयुक्त बयान में कहा कि बीते कुछ दिनों में हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं के चलते उन्होंने यह कदम उठाया है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि आयोजन में उनकी भूमिका सीमित थी, फिर भी वे नैतिक जिम्मेदारी लेने को तैयार हैं।
तीन जून की भगदड़ में 11 की मौत, 50 से अधिक घायल
आरसीबी की जीत के बाद जब चिन्नास्वामी स्टेडियम में कार्यक्रम आयोजित किया गया, तब सोशल मीडिया के माध्यम से फैले आमंत्रण के कारण भारी संख्या में लोग स्टेडियम के बाहर जुट गए। भीड़ का नियंत्रण बिगड़ने से भगदड़ मच गई, जिसमें 11 लोगों की जान चली गई और कई घायल हुए। इसके बावजूद, स्टेडियम के अंदर समारोह जारी रहा, जिससे आयोजकों पर सवाल उठने लगे।
केएससीए ने केवल स्थान की मांगी थी अनुमति
सरकार को भेजे गए एक पत्र में केएससीए ने सूचित किया था कि यदि आरसीबी विजेता बनती है, तो डीएनए एंटरटेनमेंट नेटवर्क्स प्राइवेट लिमिटेड विधान सौधा के ग्रैंड स्टेप्स पर सम्मान समारोह आयोजित करेगा। इस पत्र में केवल स्थान की अनुमति मांगी गई थी, न कि भीड़ या आयोजन के पूर्ण प्रबंधन की।
भीड़ नियंत्रण की जिम्मेदारी से किया इनकार
हादसे के बाद केएससीए अध्यक्ष रघुराम भट, सचिव शंकर और कोषाध्यक्ष जयराम ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर यह स्पष्ट किया कि गेट और भीड़ नियंत्रण उनकी जिम्मेदारी नहीं थी। उन्होंने कहा कि आयोजन आरसीबी और उसकी एजेंसी डीएनए नेटवर्क्स द्वारा किया गया था और केएससीए की भूमिका स्थल और आधारभूत सुविधाएं प्रदान करने तक सीमित थी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस ने बिना किसी जांच के दबाव में आकर उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की।
हाईकोर्ट से अंतरिम राहत
याचिका पर सुनवाई करते हुए कर्नाटक हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति एसआर कृष्ण कुमार ने पुलिस को अगली सुनवाई तक केएससीए पदाधिकारियों के खिलाफ किसी भी तरह की कठोर कार्रवाई से रोक दिया है। अदालत ने जांच में सहयोग देने का निर्देश भी दिया है। एफआईआर रद्द करने की मांग वाली याचिका पर 16 जून को सुनवाई होगी, जबकि राज्य सरकार को 10 जून तक रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया गया है।
व्यवस्था और प्रबंधन पर उठे सवाल
इस हादसे ने आयोजन की तैयारियों और फैसलों को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। खासकर सोशल मीडिया पर आमंत्रण जारी करना और फिर उसे हटाना, और बाहर भगदड़ के बावजूद स्टेडियम के अंदर कार्यक्रम जारी रखना—इन सबने आयोजकों की जवाबदेही पर गंभीर संदेह खड़े कर दिए हैं।
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