देश की राजनीति में फिर से जातिवाद का मुद्दा सुर्खियों में नजर आ रहा है। आपको बता दें दरअसल हाल की में आरएसएस प्रमुख पर पंडितों को कुछ ऐसा कह दिया जिससे सियासत के गलियारों में राजनीतिक उफान शुरू हो गया है। देश में एक ही जाति की भागवत की बात पर आरएसएस नेता सुनील आंबेकर ने कहा कि वे विद्वान के लिए पंडित शब्द का उपयोग कर रहे थे। जानकारी के लिए बता दें कि आरएसएस प्रमुख ने बीते दिन कहा था कि भारत में पंडितों ने ही जाति का विभाजन किया है, नहीं तो सब एक ही जाति के थे।
मोहन भागवत के बयान पर छिड़ा सियासी विवाद
मोहन भागवत ने बीते दिन मुंबई में एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि जाति, वर्ण और संप्रदाय केवल पंडितों द्वारा बनाया गया था। उन्होंने ये भी कहा कि अगर जातियों में विभाजन नहीं होता तो हमारे समाज के बंटवारे का फायदा कोई दूसरा नहीं उठा पाता, जिसके चलते देश पर आक्रमण हुए। कयास तो ये लगाए जा रहे हैं कि मोहन भागवत का इशारा मुस्लिम समाज पर था।
भागवत ने कहा कि संत रविदास एवं बाबासाहब आंबेडकर ने समाज में सामंजस्य स्थापित करने का काम किया। संत रविदास ने देश और समाज के विकास के लिए मार्ग दिखाया। आरएसएस प्रमुख ने इसी कड़ी में ये भी कहा कि संत रविदास का कद तुलसीदास, कबीर और सूरदास से भी बड़ा है। इसलिए उन्हें संत शिरोमणि माना जाता है। ।

