Karwa Chauth 2024: भारतीय संस्कृति में पति-पत्नी के बीच अटूट बंधन का प्रतीक करवा चौथ का पावन पर्व रविवार को पूरे देश में श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। यह पर्व खास तौर पर उत्तर और पश्चिमी भारत में विवाहित महिलाओं द्वारा मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि करवा चौथ का व्रत रखने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है और वैवाहिक जीवन में कोई परेशानी नहीं आती। इसलिए, विवाहित महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और शाश्वत वैवाहिक सुख की कामना के लिए कार्तिक कृष्ण चतुर्थी को करवा चौथ का व्रत रखती हैं।
इस दिन, विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए पानी तक से परहेज करते हुए कठोर व्रत रखती हैं। वे चांद को अर्घ्य देने के बाद ही अपना व्रत तोड़ती हैं। इससे पहले, शाम को, महिलाएं 16 पारंपरिक दुल्हन के आभूषणों से सजती हैं, देवी करवा की पूजा करती हैं और संबंधित कथा सुनती हैं।
व्रत का ऐतिहासिक महत्व
पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह व्रत सती सावित्री से जुड़ा हुआ है। ऐसा माना जाता है कि सावित्री ने अपने पति सत्यवान को मृत्यु के देवता यमराज से वापस लाने के लिए कठोर तपस्या की थी। उनकी अटूट भक्ति और समर्पण से प्रभावित होकर यमराज ने उनके पति को उनका जीवन वापस दे दिया था। तब से यह परंपरा चली आ रही है।
इस व्रत से जुड़ा एक और महत्वपूर्ण कारण इतिहास से जुड़ा है। प्राचीन काल में, उत्तर और पश्चिमी भारत के पुरुष अक्सर सैन्य सेवा में लगे रहते थे। महिलाओं ने अपने पति की सुरक्षा और खुशहाली के लिए यह व्रत रखना शुरू किया। इसके अलावा, यह समय रबी की फसल की बुवाई के साथ मेल खाता है, जो इसे कृषि से भी जोड़ता है।
व्रत को लेकर बाजार में दिख रही रौनक
करवा चौथ के मौके पर बाजारों में चहल-पहल बढ़ गई है। रेडीमेड गारमेंट स्टोर से लेकर साड़ी शोरूम और चूड़ी बाजार से लेकर ब्यूटी पार्लर तक महिलाएं बड़ी संख्या में पहुंच रही हैं। इस साल करीब 22,000 करोड़ का कारोबार होने की उम्मीद है। व्यापारियों के मुताबिक, पिछले साल के मुकाबले इस साल ज्यादा रौनक दिख रही है।
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अनुष्ठान के लिए जरूरी सामान
लकड़ी का आसन, देसी घी, पान, छड़ी, कलश, रोली, पवित्र धागा, मिठाई, छलनी, बर्तन के लिए चावल, दान सामग्री, अखंडित चावल, चंदन, फल, पीली मिट्टी, फूल।
चंद्र दर्शन का समय:
नोएडा: रात 8:14 बजे
नई दिल्ली: रात 8:15 बजे
गुरुग्राम: रात 8:16 बजे
फरीदाबाद: रात 8:04 बजे
गाजियाबाद: रात 8:00 बजे