Electoral Bond : चुनावी बॉन्ड पर सुनवाई के दौरान भारतीय स्टेट बैंक को सुप्रीम कोर्ट से करारा झटका लगा है। SC ने SBI को मंगलवार 12 मार्च को इलेक्टोरल बॉन्ड (Electoral Bond) से जुड़ी सारी जानकारी पेश करने को कहा है। हालांकि SBI ने 30 जून तक का समय मांगा थ लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज करते हुए कहा- कि आपके पास सारा डेटा तो होगा तो केवल आपको वो चुनाव आयोग और यहां पेश करना है।
जानिए क्या होता है चुनावी बॉन्ड?
वहीं SBI की तरफ से दलीले रखने वाले वकील हरीश साल्वे भी कोर्ट के इस आदेश पर कुछ नहीं कह पाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनावी बॉन्ड की सारी डिटेल 15 मार्च तक शाम 5बजे तक वेबासाइट पर अपलोड करने का निर्देश दिया है। चलिए अब आपको बताते हैं क्या होता है चुनावी बॉन्ड?
साल 2017 में केंद्र सरकार Electoral Bond लेकर आई थी और 2018 को इस चुनावी बॉन्ड को कानूनी रूप से लागू किया था। सरकार का कहना था कि ये चुनावी चंदे में साफ-सुथरा धन लाने और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए इस स्कीम को लाया गया है।
अब जानिए कैसे जारी होता है चुनावी बॉन्ड
SBI की 9 ब्रांचो से अलग-अलग रकम के Electoral Bond जारी किए जाते हैं ये रकम एक हजार से लेकर एक करोड़ तक हो सकती है इसे कोई भी खरीद सकता है और अपनी पसंदीदा राजनीतिक पार्टी को दे सकता है। अब बात की जाए बॉन्ड किसने खरीदा और किसे दिया इसकी डिटेल कहां रखी जाती है तो आपको बताते हैं SBI ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि डोनर और रिसीवर की डिटेल अलग-अलग सीलबंद लिफाफों में मुंबई की मेन ब्रांच में रखा जाता है तो ऐसे में ये सवाल उठता है कि जब डोनर और रिसीवर की डिटेल एक ही ब्रांच में हैं तो फिर इसे पेश करने के लिए एसबीआई और टाइम क्यों मांग रही था?
आखिर SBI ने सुप्रीम कोर्ट से चुनावी बॉन्ड पेश करने के लिए मांगा वक्त
SBI ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि दोनों की डिटेल क्रॉस चेकिंग करने के लिए अभी थोड़े वक्त की जरूरत है क्योंकि चुनावी बॉन्ड की जानकारी दो अलग-अलग सीलबंद लिफाफों में हैं और इनका मिलान करके डिटेल जारी करने में लंबी प्रक्रिया है। वहीं विपक्ष ने चुनावी बॉन्ड मामले को लेकर पीएम मोदी और भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा- कि अब पीएम के चंदे के धंधे की पोल खुलने वाली है इसलिए डेटा छिपाने के लिए ये वक्त मांगने का दांव खेल रही है।