नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार, 17 सितंबर को सरकारी बंगला खाली कराने से जुड़े एक मामले में आम आदमी पार्टी (आप) के सांसद राघव चड्ढा को राहत दे दी। चड्ढा ने सोशल मीडिया पर अपनी खुशी जाहिर करते हुए लिखा, “यह किसी घर या दुकान के बारे में नहीं है; यह संविधान को बचाने की लड़ाई है। अंत में, सच्चाई और न्याय की जीत हुई है।” उन्होंने एक बयान जारी कर दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत किया, जिसमें फैसला सुनाया गया कि राघव चड्ढा को वर्तमान में रहने वाले टाइप -7 सरकारी बंगले को खाली करने की आवश्यकता नहीं है।
राघव चड्ढा ने लड़ी राजनीतिक लड़ाई
चड्ढा ने पूरे मामले को एक राजनीतिक प्रतिशोध बताया, जिसका उद्देश्य उन विपक्षी आवाज़ों को चुप कराना है जो लाखों भारतीयों की ओर से चिंताएँ उठाते हैं। उन्होंने कहा, “राज्यसभा के 70 साल के इतिहास में यह पहली बार है कि किसी संसद सदस्य को सरकार से सवाल पूछने के लिए राजनीतिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ा है।” उन्होंने आरोप लगाया कि अनगिनत भारतीयों की चिंताओं को उजागर करने वाले विपक्षी हस्तियों को निशाना बनाया जा रहा है, लेकिन उनका कहना है कि उन्हें इन मुद्दों को सीधे संबोधित करने में कोई डर नहीं है।
Ye makan ya dukan ki nahin, Samvidhan ko bachane ki ladhayi hai
In the end, truth and justice have prevailedMy statement on the Hon'ble Delhi High Court's ruling to set aside the unjust order to evict me from my official residence. pic.twitter.com/fA7BJ2zLYm
— Raghav Chadha (@raghav_chadha) October 17, 2023
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मंगलवार को दिल्ली हाई कोर्ट का फैसला राघव चड्ढा के लिए राहत लेकर आया, जिससे सरकारी बंगला खाली करने के लिए राज्यसभा सचिवालय द्वारा जारी नोटिस पर लगाई गई अंतरिम रोक खत्म हो गई। मामले की सुनवाई जस्टिस अनूप जयराम भंभानी कर रहे थे। विशेष रूप से, अंतरिम रोक को चुनौती दी गई थी और इसे 18 अप्रैल को लागू किया गया था, जिससे सरकारी बंगले को खाली करने से रोक दिया गया था। मौजूदा कानूनी खींचतान में यह घटनाक्रम राघव चड्ढा के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है, जो विपक्षी खेमे में एक प्रमुख आवाज रहे हैं और लगातार मुद्दों को उठाते रहे हैं।