आज यानि 28मई को सिद्धू मूसेवाला को मरे हुए एक साल पूरा हो गया है। अब आप सब ये तो जानते हीं हैं आज से एक साल पहले यानि 2022 में मूसेवाला अपनी Thar गाड़ी से निकले थे और गोल्ड़ी बरार, लॉरेंस बिश्नोई के गैंग के शार्प शूटरों ने गोलियां मारकर सिद्धू मूसेवाल की हत्या की थी। सिद्धू मूसेवाला के फैंस के बीच उनके गाने का खुमार चढ़ा रहता था और आज भी वो बरकरार है।
शुभदीप से कैसे बने सिद्धू मूसेवाला और कैसे किया सफर तय
आज सिद्धू मूसेवाला बेशक इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन उनकी कहानी के शुरूआती पन्नों को हम खोलेंगो जिसके बारे में आप शायद ही जानते हों। सिद्धू मूसेवाला का नाम शुभदीप सिंह सिद्धू था पंजाब के मनसा जिले के मूस वाला गांव में 17 जून 1993 को एक सिख जाट परिवार में हुआ स्कूल से ही सिद्धू को गाने का चस्का चढ़ गया था और उन्होंने पंजाबी म्यूजिक इंडस्ट्री की तरफ कदम बढ़ाने शुरू कर दिए थे।
सिद्धू के रैप करने का अंदाज फैंस को काफी पसंद आने लगा और यहां से ही मूसेवाला की किस्मत चमकी और उनके लाइसेंस गाने ने ऐसी धूम मचाई की उसके बाद एक से बढ़कर एक गाने मूसेवाला ने दिए। मूसेवाला को शुरू से ही बदूंकों को हवा में लहराना, और बड़ी गाड़ियों को दिखाने का शौक था अपने गानों में भी सिद्धू गन का इस्तेमाल को लेकर काफी विवाद भी हुआ कि वो हिंसा फैलाने का काम कर रहें हैं।
वो कहतें हैं ना जब शोहरत मिलती है तो आपके दुश्मन भी बन जातें हैं। सिद्धू की जिंदगी में एक पन्ना ऐसा भी आया जिसके बाद उनको अपनी मौत के डर का अंदाजा था। दरअसल हुआ कुछ यूं था कि लॉरेंस बिश्नोई का दोस्त और यूथ अकाली दल के नेता विक्की मिद्दुखेड़ा की हत्या कर दी गई थी जिस पर बिश्नोई को लगा ये काम मूसेवाला ने किया था। जब सिद्धू को अपनी जान के खतरा का अंदाजा था कि उसकी हत्या कभी भी करवाई जा सकती है इसलिए वो टाइट स्कियोरिटी चलती थी लेकिन वो कहते हैं ना घायल हुआ कोई भी इंसान एक मौके का इंतजार करता है और उसको जैसे ही मौका मिलता है वैसे ही वो घात कर देता है पिछले साल 29मई को जब बिना किसी सुरक्षा के मूसेवाला THAR से निकले तो बिश्नोई के शूटर्सों ने हमला कर के हत्या को अंजाम देकर बदले को पूरा कर लिया। बिश्नोई ने कबूला भी कि बदले के लिए उसने ये किया।
आज सिद्धू मूसेवाला के गांव में उनके पोस्टरों से सजाया गया है और गायक का गांव मूसा और श्मशान घाट उनके प्रशंसकों के लिए यादगार बन गया है। श्मशान घाट के पास मूसेवाला के पोस्टर और टी-शर्ट की दुकानें सजी हुई हैं। अभी हाल ही में उनके मेरा ना गाने ने भी काफी धूम मचाई है। बेशक मूसेवाला नहीं रहें हो लेकिन एक मां के लिए उसका बेटा यादों में जीवित रहता है। सिद्धू की पहली पुण्यतिथि की पूर्व संध्या पर उनकी माता चरण कौर रविवार को जवाहर के गांव में उस जगह पर गोली के निशान देखकर फूट-फूट कर रो पड़ीं, जहां उनके बेटे की गोली मारकर हत्या की गई थी।