नोएडा के सेक्टर-145 स्थित डंपिंग ग्राउंड पर दो नई पर्यावरणीय परियोजना की शुरुआत होने जा रही है। NTPC और एवर एनवायरो द्वारा स्थापित किए जाने वाले प्लांट आगामी दो वर्षों में पूरी तरह से कार्यशील हो जाएंगे। इन प्लांट्स के जरिए सीबीजी (कंप्रेस्ड बायो गैस) और टोरिफाइड चारकोल का उत्पादन किया जाएगा।
परियोजना के लिए अक्टूबर में जारी किया जाएगा टेंडर
वर्तमान में, नोएडा प्राधिकरण ने इस क्षेत्र में वेस्ट के निपटारे के लिए एक अल्पकालिक योजना बनाई है। जब तक दोनों कंपनियां अपने प्लांट पूरी तरह से स्थापित नहीं कर लेतीं, तब तक यहां पांच छोटे प्लांट लगाए जाएंगे जो गीले कचरे से सीएनजी और बायो गैस का उत्पादन करेंगे। इस प्रक्रिया के लिए अक्टूबर में टेंडर जारी किया जाएगा और नवंबर-दिसंबर तक प्लांट लगाए जाने की उम्मीद है।
4000 किलो सीएनजी और बायो गैस का होगा उत्पादन
प्राधिकरण के जीएम एसपी सिंह के अनुसार, ये छोटे प्लांट प्रतिदिन लगभग 400 मीट्रिक टन गीले कचरे से 4000 किलो सीएनजी और बायो गैस का उत्पादन करेंगे। इस गैस का उपयोग कॉमर्शियल उद्देश्यों के लिए किया जाएगा, जिससे प्लांट संचालकों को आर्थिक लाभ होगा। यह प्रक्रिया दो साल तक चलेगी और इसके बाद बड़े प्लांटों के सक्रिय होने पर इनका संचालन बंद कर दिया जाएगा।
क्या है परियोजना का मकसद
डंपिंग ग्राउंड से वर्तमान में प्रतिदिन लगभग 1000 मीट्रिक टन कचरा निपटाया जाता है और अब तक 7.5 लाख मिट्रिक टन कचरा निपटाया जा चुका है। नोएडा में प्रतिदिन 400 मीट्रिक टन गीला कचरा निकलता है, जिससे अनुमानित 4000 किलो सीएनजी गैस का उत्पादन होगा। मुख्य परियोजनाओं की बात करें तो अस्तौली सेक्टर-145 में इंडो एनवायरो इंटीग्रेटेड सॉल्यूशन लिमिटेड और एवर एनवायरो रिसोर्सेज मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड के द्वारा 300 टीपीडी क्षमता का सीबीजी प्लांट और एनटीपीसी विद्युत व्यापार निगम लिमिटेड द्वारा 1100 टीपीडी क्षमता का टोरिफाइड चारकोल प्लांट स्थापित किया जा रहा है। टोरिफाइड चारकोल का उपयोग विद्युत उत्पादन में किया जाएगा और इससे प्रति वर्ष लगभग 2 लाख 25 हजार मीट्रिक टन कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी, जो कार्बन क्रेडिट प्राप्त करने में सहायक होगा।