बलिया: जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय और बिहार स्थित डा. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय समस्तीपुर पूसा के मध्य बुधवार को एमओयू पर हस्ताक्षर किया गया। जननायक विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. कल्पलता पांडेय और कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रमेश चन्द्र श्रीवास्तव के बीच हस्ताक्षरित इस सहमति पत्र में दोनों विश्वविद्यालयों के मध्य प्राध्यापकों और छात्रों के आदान- प्रदान के द्वारा शैक्षणिक गुणवत्ता में वृद्धि लाने का संकल्प व्यक्त किया गया।
इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में बोलते हुए प्रो. रमेश चन्द्र श्रीवास्तव ने कहा कि जननायक विश्वविद्यालय के साथ मिलकर सुरहा ताल के संरक्षण एवं इस पर आधारित रोजगार की संभावनाओं पर योजनाबद्ध कार्य करेंगे। उन्होंने कहा कि दोनों विश्वविद्यालय मिलकर संयुक्त वृहद परियोजना तैयार करेंगे और इसमें आस-पास के ग्रामीणों को भी साथ लेकर कार्य किया जायेगा जिससे इस क्षेत्र का सतत विकास हो सके।
पूर्वी यूपी और पश्चिमी बिहार में रोजगार के असीमित अवसर
जेएनसीयू और पूसा विवि के बीच एमओयू साइन करने के अवसर पर ”सुरहा ताल पारिस्थितिकी के पुनरुद्धार और आर्थिक उपयोगिता” विषय पर एक संगोष्ठी और परिचर्चा का भी आयोजन किया गया। जिसमें कृषि विश्वविद्यालय के प्रो. रमेश चन्द्र श्रीवास्तव ने ग्रामीणों की सम्मानजनक आजीविका की बात करते हुए कृषि अवशेषों के प्रयोग द्वारा रोजगार पैदा करने की बात की। कहा कि पूर्वी उत्तर प्रदेश एवं पश्चिमी बिहार में विश्व की सर्वोत्कृष्ट प्राकृतिक संपदा पायी जाती है, हम इसका प्रयोग करते हुए यहीं रोजगार के असीमित अवसर पैदा कर सकते हैं।
कृषि और वाणिज्य के पाठ्यक्रमों के अध्ययन-अध्यापन पर रहेगा फोकस : कुलपति
चंद्रशेखर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. कल्पलता पांडेय ने ग्रामीण विकास केंद्र शुरू करने की प्रतिबद्धता जतायी और इसके लिए कृषि विश्वविद्यालय की विशेषज्ञता का लाभ लेने की बात की। कहा कि कृषि और वाणिज्य के पाठ्यक्रमों के अध्ययन-अध्यापन पर मेरा फोकस रहेगा। इस अवसर कृषि विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. पीपी श्रीवास्तव ने कहा कि आज से 50 साल में सुरहा का पानी की गुणवत्ता खराब हुई है जिससे मछलियों की दस प्रजातियां विलुप्त हो गयी हैं।