Noida News: नोएडा जिला प्रशासन ने शिक्षा के अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत छात्रों को दाखिला देने से इनकार करने वाले 12 निजी स्कूलों के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है। जिलाधिकारी (डीएम) ने इन स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई के लिए एक समिति गठित करने का आदेश दिया है। समिति की रिपोर्ट प्रतिकूल आने पर इन स्कूलों की मान्यता रद्द करने की कार्रवाई भी की जा सकती है।
जांच समिति गठित
बेसिक शिक्षा अधिकारी राहुल पंवार ने डीएम मनीष कुमार वर्मा को आरटीई के तहत छात्रों को दाखिला न देने वाले 12 स्कूलों की जानकारी दी। जवाब में डीएम ने इन स्कूलों की जांच के लिए एक समिति गठित करने का आदेश दिया है और समिति की रिपोर्ट शासन को भेजने के निर्देश दिए हैं। एसडीएम वेद प्रकाश पांडेय की अध्यक्षता वाली इस समिति में जिला दिव्यांगजन अधिकारी आशीष कुमार और कुमारी मायावती इंटर कॉलेज की प्रधानाचार्य छवि सिंह शामिल हैं। समिति ने इन स्कूलों को नोटिस भेजा है।
इन स्कूलों को मिला नोटिस
जिन स्कूलों को नोटिस मिला है, उनमें बाल भारती पब्लिक स्कूल, द मिलेनियम स्कूल, रामाज्ञा स्कूल, राघव ग्लोबल स्कूल, शिव नादर स्कूल, फॉर्च्यून वर्ल्ड स्कूल, नोएडा में आर्मी पब्लिक स्कूल और दरबारी लाल फाउंडेशन वर्ल्ड स्कूल, दिल्ली पब्लिक स्कूल, ऑक्सफोर्ड ग्रीन पब्लिक स्कूल और ग्रेटर नोएडा में संस्कार रोजा जलालपुर शामिल हैं।
इन बच्चों को माना जाएगा आउट ऑफ स्कूल
इसके अलावा, नोएडा के परिषदीय स्कूलों में 30 दिनों से अधिक अनुपस्थित रहने वाले या किसी भी परीक्षा में 35 प्रतिशत से कम अंक लाने वाले छात्रों को आउट ऑफ स्कूल की श्रेणी में रखा जाएगा। बेसिक शिक्षा विभाग के महानिदेशक ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को यह निर्देश जारी किए हैं।
निर्देशों में स्पष्ट किया गया है कि 6 से 14 वर्ष की आयु का कोई भी बच्चा जो स्कूल में नामांकित नहीं है, उसे आउट ऑफ स्कूल माना जाएगा। यदि कोई छात्र नामांकन के एक वर्ष के भीतर लगातार 30 दिनों तक अनुपस्थित रहता है, तो उसे भी आउट ऑफ स्कूल माना जाएगा। यदि कोई छात्र वार्षिक मूल्यांकन में 35 प्रतिशत से कम अंक लाता है, तो उसके शैक्षिक स्तर को सुधारने के लिए अतिरिक्त कक्षाएं लगाई जाएंगी।
मासिक बैठकें होेगी आयोजित
बेसिक शिक्षा अधिकारी राहुल पंवार ने बताया कि छात्रों की उपस्थिति पर नज़र रखने के लिए प्रधानाध्यापकों और शिक्षकों के साथ मासिक बैठकें की जाएंगी। शिक्षक लगातार अनुपस्थित रहने वाले छात्रों पर भी नज़र रखेंगे। इसके बाद शिक्षक अभिभावकों को सलाह देंगे और उन्हें अपने बच्चों को रोज़ाना स्कूल भेजने के लिए प्रोत्साहित करेंगे।