Greater Noida: यमुना प्राधिकरण द्वारा मास्टर प्लान क्षेत्र के बाहर 3000 करोड़ रुपये की जमीन खरीदने से जुड़ा एक बड़ा भूमि घोटाला सामने आया है। इस घोटाले को एक सुसंगठित सिंडिकेट ने अंजाम दिया, जिसके मुख्य खिलाड़ी यमुना प्राधिकरण के अधिकारी थे। इसमें सबसे अहम भूमिका पूर्व सीईओ, आईएएस अधिकारी पी.सी. गुप्ता की रही, जिन्होंने अन्य अधिकारियों के साथ मिलकर इस फर्जीवाड़े को अंजाम दिया। घोटाले में चार तहसीलदार, नायब तहसीलदार, लेखपाल, नियोजन एवं वित्त विभाग के अधिकारी, बैंक अधिकारी और ठेकेदार शामिल थे। इसके अलावा, कई राजनेता, उनके रिश्तेदार और पी.सी. गुप्ता के परिवार के सदस्य भी इसमें शामिल थे।
एफआईआर के बावजूद गिरफ्तारी अभी भी लंबित
2019 में पी.सी. गुप्ता और अन्य अधिकारियों के खिलाफ कोतवाली थाने में एफआईआर दर्ज की गई थी। इसके बावजूद, पांच साल में केवल कुछ ही गिरफ्तारियां हुई हैं, जबकि प्राधिकरण को लगभग 3000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
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धोखाधड़ी का पैमाना: 23,92,41,724 रुपये
इस भूमि खरीद घोटाले में, यमुना प्राधिकरण के अधिकारियों ने बैंकों से ऋण लेकर मुआवजा वितरित किया, जिससे प्राधिकरण पर 33,000 करोड़ रुपये का कर्ज हो गया। खास तौर पर, मेघालय के हाथरस गांव में मास्टर प्लान के बाहर जमीन खरीदने पर 16,15,28,932 रुपये खर्च किए गए। इस पर 70 लाख रुपये का अतिरिक्त ब्याज खर्च हुआ, जिससे कुल धोखाधड़ी की रकम 23,92,41,724 रुपये हो गई।