गोपेश्वर: हिमालयी पौधे तेजपात के संरक्षण और संवर्द्धन के लिये जड़ी-बूटी शोध संस्थान के सहयोग से डाक विभाग ने मुहिम शुरू की है।डाक विभाग ने मंगलवार को यहां आयोजित कार्यक्रम में तेजपात की जानकारी और चित्र वाला रजिस्ट्री लिफाफा जारी किया। डाक विभाग इस लिफाफे की बिक्री करेगा।
उत्तराखण्ड के मध्य हिमालय क्षेत्र की जलवायु प्राकृतिक रूप से तेजपात के उत्पादन के लिये मुफीद है। तेजपात का उपयोग मसालों में किया जाता है। इसका आयुर्वेद में भी विशेष महत्व है। राज्य के पहाड़ी क्षेत्रों में जड़ी बूटी शोध संस्थान लम्बे समय से काश्तकारों के माध्यम से तेजपात का उत्पादन कर रहा है। उत्तराखंड तेजपात समिति सुखीडांग, पिथौरागढ़ के अध्यक्ष नाथ सिंह ने उत्तराखंड के तेजपात को जियोलॉजिकल इंडिकेशन टैग के लिये जीआई चेन्नई में आवेदन किया था। इसके बाद 500 काश्तकारों के एफिडेविट और जड़ी बूटी शोध संस्थान के वैज्ञानिक डा. विजय भट्ट के प्रयास से तेजपात को जियोलॉजिकल इंडिकेशन टैग मिल गया है।
डा. विजय भट्ट ने बताया कि जीआई प्रमाण पत्र पाने वाला तेजपात पहला औषधीय पादप है। ऐसे में डाक विभाग की ओर से उत्तराखंड के तेजपात के संरक्षण और प्रसार के लिये लिफाफा जारी किया गया है। इस मौके पर डाक अधीक्षक जीडी आर्य, सहायक डाक अधीक्षक बीपी थपलियाल, डाकपाल एसएस राणा, अजय कुमार, महेश प्रसाद, हेमंत यादव, रोहित कुमार, कुलदीप सिंह, अंकुर वर्मा आदि मौजूद रहे।