खालिस्तानी समर्थक और वारिस पंजाब दे के प्रमुख अमृतपाल सिंह अब तक गिरफ्त से बाहर है। पंजाब पुलिस की हांथ अब भी खाली है। अमृतपाल को पकड़ने के लिए लगातार छापेमारी की जा रही है लेकिन वह अब तक फरार है। देश के लिए खतरा बन चुके अमृतपाल को पकड़ने के लिए पंजाब पुलिस ने उसके कट्टरपंथी संगठन वारिस पंजाब दे पर शिकंजा कसना शुरू कर दी है। इस कार्रवाई में पुलिस ने उसके 114 से अधिक साथियों को गिरफ्तार किया है।
बता दें कि पंजाब पुलिस अमृतपाल पर भी राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत कार्यवाही कर रही है, लेकिन उसकी फरारी को लेकर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने सरकार व पुलिस को फटकार लगाई है और कड़े सवाल पूछे है।
उच्च न्यायालय ने लगाई फटकार
गौरतलब है कि इस मामले में आज पंजाब सरकार ने हाईकोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की। इस रिपोर्ट में सरकार ने कहा कि अमृतपाल के बारे में कोई जानकारी नहीं है। पुलिस टीमें लगातार छापेमारी कर रही हैं। बात दें कि अब तक की जांच में यह बात सामने निकल कर आयी है कि अमृतपाल सिंह एक अलग सिख देश बनाना चाहता था। पुलिस के पास अमृतपाल के ऐसे 500 करीबियों की सूची है, जो अलग देश बनाने की कवायद में जुटा हुआ था।
पंजाब के महाधिवक्ता विनोद घई ने उच्च न्यायालय में बताया कि अमृतपाल सिंह तथा उसके करीब आधा दर्जन साथियों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लगाया गया है। इसपर उच्च न्यायालय ने पंजाब सरकार को फटकारते हुए पूछा कि जब एफिडेविट में अमृतपाल को देश के लिए खतरा बताया गया है, तो उसे अभी तक पकड़ा क्यों नहीं गया।
महाधिवक्ता विनोद घई ने न्यायालय से कहा कि बहुत सी बातें ऐसी हैं, जिन्हें जांच के चलते सार्वजनिक नहीं किया जा सकता। पंजाब सरकार ने कहा कि इस पूरे ऑपरेशन में 80 हजार पुलिस कर्मचारी लगाए गए हैं। इस पर उच्च न्यायालय ने फिर से सरकार पर सवाल उठाते हुए पूछा कि 80 हजार पुलिस कर्मी क्या कर रहे थे ? हजारों पुलिस कर्मियों के बीच अमृतपाल कैसे भाग गया, यह आपका इंटेलिजेंस फेलियर है। बता दें कि अदालत ने कहा कि अब इस मामले की सुनवाई चार दिन बाद होगी।