Noida : नोएडा के कुख्यात सुपरटेक ट्विन टावर घोटाले में अब नोएडा प्राधिकरण के 11 अधिकारियों की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। एक के बाद एक दो जांचों में दोषी पाए गए इन अधिकारियों के खिलाफ अब शासन स्तर से कार्रवाई तय मानी जा रही है।
यह मामला भारत की न्यायिक और प्रशासनिक व्यवस्था के लिए एक बड़ा उदाहरण बनकर सामने आया है, जहां भ्रष्टाचार के आधार पर खड़े किए गए दो गगनचुंबी टावर—एपेक्स और सियान—को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 28 अगस्त 2022 को जमींदोज कर दिया गया था।
सुप्रीम कोर्ट की कड़ी टिप्पणी
सुपरटेक के ट्विन टावर गिराने के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा प्राधिकरण पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा था, “प्राधिकरण के चेहरे ही नहीं, उसके मुंह, नाक, आंख सभी से भ्रष्टाचार टपकता है।” कोर्ट ने स्पष्ट किया कि प्राधिकरण और बिल्डर के बीच मिलीभगत थी, जिसके चलते बिना मंजूरी और कानून के विपरीत निर्माण कार्य को अंजाम दिया गया।
पहली जांच और मुकदमा
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद सितंबर 2021 में उत्तर प्रदेश सरकार ने मनोज कुमार सिंह की अध्यक्षता में चार सदस्यीय जांच कमेटी बनाई। इस कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर 26 अधिकारियों/कर्मचारियों, सुपरटेक लिमिटेड के निदेशकों और आर्किटेक्ट्स के खिलाफ कार्रवाई की गई। 4 अक्टूबर 2021 को इनके खिलाफ मुकदमा भी दर्ज किया गया। इन 26 आरोपियों में से 20 अधिकारी रिटायर हो चुके हैं, दो की मौत हो चुकी है, जबकि चार अभी सेवा में हैं, जिन्हें निलंबित कर दिया गया है।
दूसरी जांच में भी दोषी साबित
प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के एसीईओ सौम्य श्रीवास्तव को 11 अधिकारियों की जांच सौंपी गई। सौम्य श्रीवास्तव ने जांच पूरी कर शासन को रिपोर्ट सौंप दी है। उन्होंने जांच की गोपनीयता का हवाला देते हुए रिपोर्ट पर टिप्पणी करने से इनकार किया है, पर सूत्रों के अनुसार रिपोर्ट इन अधिकारियों की मुश्किलें और बढ़ाने वाली है।
कार्रवाई की बढ़ी संभावना
सूत्रों (Noida) की मानें तो नई रिपोर्ट में भी इन 11 अधिकारियों के खिलाफ ठोस साक्ष्य पेश किए गए हैं। गौरतलब है कि इन अधिकारियों के नाम पहले से ही एसआईटी की रिपोर्ट में भी शामिल हैं और अब दोबारा दोषी पाए जाने पर शासन उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई कर सकता है।
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