Ghaziabad: गाजियाबाद जिले के ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर में अवैध रूप से ड्राइविंग टेस्ट लिए जाने का मामला सामने आया है। बताया जा रहा है कि ट्रांसपोर्ट कमिश्नर ने इन केंद्रों को ड्राइविंग टेस्ट लेने की अनुमति दी थी, जो पूरी तरह से नियमों के खिलाफ थी। इस अनियमितता पर संज्ञान लेते हुए प्रमुख सचिव परिवहन ने इस आदेश को तुरंत निरस्त कर दिया है।
केवल ड्राइविंग ट्रेनिंग का अधिकार था
सूत्रों के अनुसार, ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर को केवल वाहन चलाने की ट्रेनिंग देने का अधिकार दिया गया था। हालांकि, गाजियाबाद स्थित एक्रीडेटेड ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर (ADTC) को ड्राइविंग टेस्ट लेने की अनुमति दे दी गई थी, जो नियमों का उल्लंघन है। प्रमुख सचिव ने मामले की गहराई से जांच करवाई और पाया कि यह आदेश गलत है। इसके बाद उन्होंने संबंधित आदेश को निरस्त कर दिया और सभी ट्रेनिंग सेंटरों पर ड्राइविंग टेस्ट पर रोक लगा दी है।
प्रमुख सचिव ने निर्देश दिए हैं कि इस पूरे प्रकरण पर दो दिन के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए और इस आदेश को लागू करने में शामिल दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का प्रस्ताव तैयार किया जाए। इस निर्णय से परिवहन विभाग में हड़कंप मचा हुआ है।
गौतमबुद्ध नगर के बिसाहड़ा सेंटर पर भी वसूली का मामला
गौतमबुद्ध नगर जिले के बिसाहड़ा स्थित ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर में भी ड्राइविंग टेस्ट के नाम पर वसूली के आरोप लग रहे हैं। इस सेंटर पर प्रदेश का पहला निजी ड्राइविंग प्रशिक्षण केंद्र एक अगस्त 2024 को शुरू हुआ था। यहां एडवांस ड्राइविंग सिस्टम और टेस्ट ट्रैक की सुविधा है। प्रमुख सचिव के आदेश के बाद अब इस सेंटर पर ड्राइविंग टेस्ट पूरी तरह से बंद कर दिए गए हैं।
दूसरे जिलों पर भी होगा असर
प्रमुख सचिव के इस कदम के बाद गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर सहित प्रदेश के अन्य जिलों में भी ड्राइविंग टेस्ट कराने के आदेश की वैधता पर सवाल उठने लगे हैं। इन आदेशों के खिलाफ व्यापक जांच और आवश्यक कार्रवाई के संकेत दिए गए हैं।
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अधिकारियों को जल्द देना होगा समाधान
बिसाहड़ा समेत अन्य जिलों में ड्राइविंग टेस्ट कहां होगा, इस पर फिलहाल स्थिति स्पष्ट नहीं है। परिवहन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अगले एक या दो दिनों में इस पर ठोस निर्णय लिया जाएगा।
प्रमुख सचिव ने स्पष्ट किया है कि इस तरह के गलत आदेश जारी करने वाले अधिकारियों को बख्शा नहीं जाएगा। पूरे प्रदेश में अब इस मामले का असर दिखाई देगा। यह मामला उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग के कामकाज पर गंभीर सवाल उठाता है।