Noida: नोएडा सेक्टर-19 में रहने वाले एलआईसी के सेवानिवृत्त प्रबंधक चंद्रभान पालीवाल को साइबर अपराधियों ने धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) केस में फंसाने की धमकी देकर पूरे परिवार समेत पांच दिन तक डिजिटल अरेस्ट कर लिया। ठगों ने वीडियो कॉल के जरिये खुद को पुलिस और सीबीआई अधिकारी बताकर डराया और पीड़ित से कुल 1.10 करोड़ रुपये ट्रांसफर करवा लिए। मामला सामने आने के बाद पीड़ित ने साइबर क्राइम थाने में शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद पुलिस ने केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
कैसे फंसे चंद्रभान पालीवाल?
चंद्रभान पालीवाल के अनुसार, 1 फरवरी को दोपहर 2:40 बजे उनके मोबाइल पर एक अनजान नंबर से कॉल आई। कॉलर ने खुद को ट्राई (TRAI) अधिकारी बताते हुए कहा कि अगर तुरंत संपर्क नहीं किया तो दो घंटे के भीतर सिम बंद हो जाएगी। कुछ देर बाद उन्हें बताया गया कि उनका मामला मुंबई साइबर क्राइम ब्रांच के पास है। इसके बाद मुंबई के कोलावा पुलिस स्टेशन से एक व्यक्ति ने खुद को आईपीएस अधिकारी राजीव कुमार बताकर कॉल की।
वीडियो कॉल के दौरान ग्रेटर मुंबई पुलिस का लोगो दिखाई दिया, जिससे चंद्रभान को लगा कि मामला असली है। कथित आईपीएस अधिकारी ने दावा किया कि चंद्रभान पर 24 केस दर्ज हैं, जिनमें धमकी देकर लोगों से वसूली और मनी लॉन्ड्रिंग शामिल है। इसके अलावा, बताया गया कि उनके नाम से केनरा बैंक, मुंबई में एक खाता खोला गया है, जहां से संदिग्ध लेन-देन हुआ है।
परिवार समेत डिजिटल अरेस्ट और धमकियां
पीड़ित को ठगों ने बताया कि उनके खिलाफ सीबीआई में केस दर्ज है और उनके आधार कार्ड का मनी लॉन्ड्रिंग में इस्तेमाल हुआ है। ठगों ने उनकी पत्नी और बेटी के नंबर भी ले लिए और पूरे परिवार को वीडियो कॉल पर रखकर अनजान नंबरों से कॉल न उठाने की हिदायत दी।
ठगों ने धमकी दी कि मामला नरेश गोयल के केस से जुड़ा हुआ है, इसलिए उन्हें और उनके परिवार को अलग-अलग जेल में डाल दिया जाएगा। इस दौरान पूरी रात स्काइप कॉल के जरिये उनकी गतिविधियों पर नजर रखी गई।
फर्जी जज ने बेल रद्द की, 1.10 करोड़ की ठगी
अगले दिन कथित सीबीआई कोर्ट का एक जज वीडियो कॉल पर आया और पीड़ित को बताया कि उनकी बेल रद्द कर दी गई है। इसके बाद उन्हें एक आदेश की कॉपी भी भेजी गई। ठगों ने डराने के लिए कहा कि अगर तुरंत एफडी तुड़वाकर पैसे नहीं भेजे गए, तो पुलिस उन्हें कुछ ही घंटे में गिरफ्तार कर लेगी।
डर के कारण चंद्रभान और उनकी पत्नी बैंक पहुंचे और ठगों द्वारा बताए गए खाते में पैसे ट्रांसफर कर दिए। जब दोबारा पैसे ट्रांसफर करने का दबाव डाला गया, तो वे फिर बैंक पहुंचे, जहां अधिकारियों ने उन्हें पुलिस में शिकायत दर्ज कराने की सलाह दी। जांच में पता चला कि रकम बेंगलुरु के एक खाते में ट्रांसफर हुई थी।
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क्या है डिजिटल अरेस्ट?
डिजिटल अरेस्ट एक नई तरह की साइबर ठगी है, जिसमें ठग पीड़ित को फोन कर ड्रग तस्करी, मनी लॉन्ड्रिंग या मानव तस्करी के झूठे आरोप में फंसाने की धमकी देते हैं। इसके बाद फर्जी पुलिस, सीबीआई या जज बनकर वीडियो कॉल करते हैं और डराकर पीड़ित से बैंक खाते की जानकारी लेकर ठगी कर लेते हैं।
कैसे बचें साइबर ठगी से?
✔ अनजान कॉल्स से सावधान रहें, खासकर जब कोई खुद को सरकारी अधिकारी बताए।
✔ अगर कोई मनी लॉन्ड्रिंग या साइबर क्राइम में नाम आने की बात कहे, तो तुरंत पुलिस से संपर्क करें।
✔ वीडियो कॉल पर किसी को भी अपने दस्तावेज न दिखाएं।
✔ अगर कोई पार्सल या ड्रग्स तस्करी का जिक्र करे, तो पुलिस को सूचित करें।
✔ अपने बैंक खाते और मोबाइल नंबर की सुरक्षा सुनिश्चित करें।