Sambhal Violence : समाजवादी पार्टी (सपा) के 15 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल को संभल दौरे पर रोक लगा दी गई है। संभल के जिलाधिकारी राजेंद्र पैंसिया ने सपा नेताओं को जिले में प्रवेश की अनुमति नहीं दी। डीएम ने खुद विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडे को फोन कर 10 दिसंबर तक संभल न आने का निर्देश दिया। इस रोक पर सपा ने कड़ी नाराजगी जाहिर की है और इसे मौलिक अधिकारों का हनन बताया है।
ये है पूरा मामला?
समाजवादी पार्टी का प्रतिनिधिमंडल, जिसमें 15 सदस्य शामिल थे, आज नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडे के नेतृत्व में संभल जाने वाला था। सपा का उद्देश्य हाल ही में हुए घटनाक्रमों और प्रशासनिक कार्रवाई की समीक्षा करना तथा प्रभावित परिवारों से मुलाकात करना था।
नेता प्रतिपक्ष ने डीएम के आदेश पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा, हमने पहले ही अपने दौरे की जानकारी दी थी। चुपके से तो हम जा नहीं रहे थे। हमें कहीं भी जाने की स्वतंत्रता है। यह हमारा मौलिक अधिकार है। उन्होंने कहा कि जिन परिवारों ने हाल ही में अपने परिजनों को खोया है, उनसे मिलना हमारा नैतिक कर्तव्य है।
डीएम के निर्देशों का हवाला
संभल (Sambhal Violence) डीएम ने हाल ही में बाहरी व्यक्तियों के प्रवेश पर रोक लगाने का आदेश जारी किया है। आदेश के तहत, 1 दिसंबर से 10 दिसंबर तक किसी भी बाहरी व्यक्ति, समाज संगठन या जनप्रतिनिधि को सक्षम अधिकारी की अनुमति के बिना जिले में प्रवेश की अनुमति नहीं है। प्रशासन का तर्क है कि यह कदम जिले में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए उठाया गया है।
सपा ने उठाए सवाल
सपा नेता माता प्रसाद पांडे ने प्रशासन की नीयत पर सवाल उठाते हुए कहा, जब मीडिया को वहां जाने की अनुमति है तो हमें क्यों रोका जा रहा है? यह सरकार संविधान पर भरोसा नहीं करती। हमें सच्चाई का पता न चले, इसलिए रोक लगाई जा रही है।
उन्होंने कहा कि प्रशासन को लिखित नोटिस देना चाहिए था, लेकिन केवल मौखिक आदेश देकर पुलिस तैनात कर दी गई। अगर हम वहां जाते हैं, तो अशांति कैसे होगी? सरकार जानबूझकर अपने काम छुपाने के लिए यह सब कर रही है।
सपा नेताओं ने कहा कि वे पार्टी कार्यालय में बैठक कर आगे की रणनीति तय करेंगे। सपा इसे सरकार की तानाशाही करार दे रही है और इसे लोकतांत्रिक मूल्यों का उल्लंघन मान रही है।
संभल में क्यों जारी हुआ आदेश?
संभल प्रशासन ने स्पष्ट किया कि जिले में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए बाहरी व्यक्तियों के प्रवेश पर अस्थायी रोक लगाई गई है। हालांकि, यह रोक सपा के लिए चुनौती बन गई है, जो इसे प्रशासनिक धौंस और लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन मान रही है।
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सवालों के घेरे में प्रशासन
सपा नेताओं का कहना है कि सरकार और प्रशासन जनता के मुद्दों को छुपाने का प्रयास कर रहे हैं। डीएम के इस कदम ने राज्य की राजनीति में एक नई बहस छेड़ दी है। अब देखना यह होगा कि सपा इसे लेकर क्या कदम उठाती है और सरकार इस मामले पर क्या रुख अपनाती है।