New Delhi: राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) में सोमवार को बड़ा राजनीतिक फेरबदल देखने को मिला। पार्टी प्रमुख जयंत चौधरी ने चौधरी चरण सिंह की जयंती के अवसर पर एक बड़ा कदम उठाते हुए सभी प्रवक्ताओं को उनके पद से मुक्त कर दिया। इस फैसले ने पार्टी और राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है।
राष्ट्रीय महासचिव ने दी जानकारी
आरएलडी के राष्ट्रीय महासचिव त्रिलोक त्यागी ने इस निर्णय की पुष्टि करते हुए बताया कि कुल 15 प्रवक्ताओं को हटाया गया है। इनमें 9 प्रदेश स्तर के प्रवक्ता और 6 राष्ट्रीय प्रवक्ता शामिल हैं। त्यागी ने बताया कि यह निर्णय इसलिए लिया गया क्योंकि प्रवक्ता जनता और मीडिया के बीच अपेक्षित रूप से सक्रिय नहीं थे।
अमित शाह के बयान से जुड़ा विवाद
सूत्रों के अनुसार, यह कार्रवाई केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के एक बयान के बाद उपजे विवाद से जुड़ी हुई है। आरएलडी प्रवक्ता कमल गौतम ने अमित शाह के राज्यसभा में दिए गए बयान पर आपत्ति जताई थी। शाह ने कहा था, “आजकल एक फैशन हो गया है- आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर… अगर इतना नाम भगवान का लिया होता, तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता।”
इस बयान के बाद कांग्रेस समेत विपक्षी पार्टियों ने इसे बीआर आंबेडकर का अपमान बताया और गृहमंत्री के इस्तीफे की मांग की।
आंबेडकर के इस्तीफे पर गृह मंत्री का बयान
राज्यसभा में अमित शाह ने कहा था कि डॉ. भीमराव आंबेडकर ने कई मुद्दों पर असहमति जताई थी, जिनमें अनुसूचित जातियों और जनजातियों के साथ व्यवहार, विदेश नीति, और अनुच्छेद 370 शामिल हैं। शाह ने कहा कि आंबेडकर को जो वादे किए गए थे, वे पूरे नहीं हुए और इसी वजह से उन्होंने कैबिनेट से इस्तीफा दिया।
आरएलडी प्रवक्ता ने क्या कहा?
मीडिया से बातचीत में आरएलडी प्रवक्ता कमल गौतम ने अमित शाह के बयान को अनुचित बताया। उन्होंने कहा, “अमित शाह जी का बयान सही नहीं है। बाबा साहब भीमराव आंबेडकर को जो लोग भगवान मानते हैं, उनके लिए ऐसा बयान सही नहीं है। गृह मंत्री होने के बावजूद कानून व्यवस्था पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। मंदिरों में हो रहे अत्याचारों पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। ऐसे बयान की कोई आवश्यकता नहीं थी।”
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पार्टी में आगे क्या?
आरएलडी के प्रवक्ताओं को हटाने का यह फैसला पार्टी की रणनीति में बड़े बदलाव का संकेत माना जा रहा है। पार्टी नेतृत्व ने संकेत दिया है कि जल्द ही नए प्रवक्ताओं की नियुक्ति की जाएगी।