नई दिल्ली: आंदोलन कर रहे किसानों का कहना है कि आंदोलन तब तक खत्म नहीं होगा जब तक उनकी पूरी मांगे नहीं मान ली जाती। किसान आन्दोलनों की कई मांगों में से अहम मांग है कि किसान आंदोलन में शहीद हुए किसानों को मुआवजा मिले। वही जब सदन में सरकार से विपक्ष ने सवाल किया कि मृतक किसानों के परिजनों को वित्तीय सहायता दिए जाने का कोई प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है या नहीं? इस पर केंद्र ने लोकसभा में जवाब दिया है कि कृषि मंत्रालय के पास किसानों की मौत का कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है। इसलिए उनको मुआवजा दिए जाने या फिर इस संबंध में कोई सवाल ही नहीं उठता है।
किसानों के मुद्दे पर सरकार को विपक्ष ने जमकर घेरा और पूछा कि क्या सरकार ने कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों से बातचीत के लिए कदम उठाए हैं? अगर उठाए हैं, तो क्या? और नहीं उठाए तो क्या वजह है? सरकार से पूछा गया था कि क्या सरकार ने जो कृषि कानून लागू किए थे, उन्हें ही वापस लिया, अगर हां तो जानकारी दें। कृषि मंत्री ने अपने जवाब में कहा, सरकार लगातार सक्रिय रूप से आंदोलन कर रहे किसानों से बातचीत कर रही है। ताकि आंदोलन खत्म किया जा सके। इसके लिए सरकार और आंदोलन कर रहे किसान संगठनों के बीच 11 स्तर की बातचीत भी हुई।
कृषि मंत्री ने मुआवजे को बताया था राज्य का मुद्दा
हालांकि, कृषि मंत्री ने पिछले दिनों ऐलान किया था कि पराली जलाना अपराध की श्रेणी में नहीं आएगा। साथ ही कृषि मंत्री ने कहा था कि मुआवजा देना राज्य सरकार का मुद्दा हैं।
(मीनाक्षी रजत तिवाड़ी)