Delhi News: दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने 2017 में एक व्यक्ति और उसकी दो नाबालिग बेटियों पर तेजाब फेंकने के मामले में दोषी को 10 साल की कठोर कैद की सजा सुनाई है। अदालत ने पीड़ित परिवार को 20 लाख रुपये का मुआवजा देने का भी आदेश दिया। कोर्ट का यह फैसला तेजाब हमलों के मामलों में सख्त कार्रवाई का उदाहरण पेश करता है।
अदालत का सख्त रुख
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अदिति गर्ग ने अपने फैसले में कहा कि सजा तय करते समय अपराध और सजा के बीच संतुलन बनाए रखना जरूरी है। उन्होंने कहा कि समाज की रुचि और न्याय की भावना को ध्यान में रखते हुए नरमी नहीं बरती जा सकती, भले ही मुकदमे में देरी क्यों न हुई हो। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अपराध की गंभीरता को देखते हुए दोषी को कड़ी सजा दी जानी चाहिए, ताकि भविष्य में इस तरह के अपराधों पर रोक लगाई जा सके।
पीड़ित परिवार को राहत
28 वर्षीय दोषी राघव मुखिया को पिछले साल नवंबर में तेजाब हमले का दोषी ठहराया गया था। घटना के समय पीड़ित लड़कियां मात्र 13 और 8 साल की थीं। अदालत ने मुआवजा देते हुए कहा कि तेजाब हमले ने पूरे परिवार को बुरी तरह प्रभावित किया। पीड़ित पिता लंबे समय तक बिस्तर पर रहे, जिससे उनकी सेहत बिगड़ती गई और बाद में उन्हें हार्ट सर्जरी करानी पड़ी। इस घटना के बाद वे आर्थिक रूप से असमर्थ हो गए, जिससे पूरे परिवार को पैसों की तंगी झेलनी पड़ी।
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मानसिक और आर्थिक प्रभाव
तेजाब हमले से न केवल परिवार को आर्थिक नुकसान हुआ, बल्कि दोनों बच्चियों के भविष्य पर भी गहरा असर पड़ा। वे अपने करियर को आगे नहीं बढ़ा सकीं और मानसिक रूप से भी प्रभावित हुईं। कोर्ट ने कहा कि ऐसे अपराधों में पीड़ितों को उचित मुआवजा दिया जाना चाहिए, ताकि वे अपने जीवन को फिर से संवार सकें।