Farmer Protest : केंद्र सरकार से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी और अन्य मांगों को लेकर किसानों ने पंजाब-हरियाणा सीमा पर फिर से अपना पैदल मार्च शुरू किया। यह मार्च रविवार को दोपहर 12 बजे के बाद शुरू हुआ, और किसानों का जत्था दिल्ली की ओर बढ़ने के लिए तैयार था।
किसान अपनी विभिन्न मांगों को लेकर सड़कों पर उतरे थे, जिनमें मुख्य रूप से एमएसपी की कानूनी गारंटी, किसानों की उधारी और कृषि क्षेत्र से जुड़ी अन्य समस्याओं का समाधान शामिल था। हालांकि, मार्च की शुरुआत में ही उन्हें हरियाणा पुलिस ने रोक लिया। पुलिस ने बैरिकेडिंग लगाकर किसानों को आगे बढ़ने से रोकने की कोशिश की।
हरियाणा पुलिस ने किसानों से यह प्रमाणित करने को कहा कि उनके पास पैदल मार्च निकालने की अनुमति है। इसके बाद, पुलिस ने यह भी स्पष्ट किया कि अंबाला प्रशासन ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा लागू की है, जिसके कारण किसानों को आगे बढ़ने की अनुमति नहीं दी जा सकती थी।
किसानों पर पुलिस ने छोड़ा आंसू गैस
पुलिस (Farmer Protest) द्वारा बार-बार की जा रही घोषणाओं के बावजूद, किसानों ने अपने मार्च को जारी रखने की कोशिश की। पुलिस ने चेतावनी दी कि किसी भी सरकारी संपत्ति को नुकसान न पहुंचाया जाए और कानून के आदेशों का पालन किया जाए। इसके बावजूद, किसानों और पुलिस के बीच बहस का सिलसिला जारी रहा।
हरियाणा पुलिस ने यह भी आरोप लगाया कि जो सूची उन्हें 101 किसानों के नामों की सौंपी गई थी, उसमें कई लोग शामिल नहीं थे। इसके अलावा, पुलिस ने यह भी कहा कि जो लोग उनके साथ हैं, वे न तो पूछताछ में सहयोग कर रहे हैं और न ही अपने पहचान पत्र दिखा रहे हैं।
इस दौरान, जैसे ही अन्य किसान और लोग पीछे से आकर पुलिस और किसानों के बीच में शामिल होने लगे, हरियाणा पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए चार से पांच राउंड गोलियां दागीं। इसने स्थिति को और भी तनावपूर्ण बना दिया। इस घटनाक्रम के बीच किसान अपने अधिकारों और मांगों के समर्थन में जुटे हुए हैं, जबकि पुलिस और प्रशासन उन्हें हर हाल में रोकने के प्रयास में लगे हुए हैं।