Noida News: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने सड़क किनारे कंक्रीटीकरण के एक मामले में नोएडा , ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ और जिलाधिकारी को कोर्ट में फिजिकल उपस्थित होने के लिए कहा है। दरअसल, नोएडा और ग्रेटर नोएडा में सड़क किनारे लगे पेड़ों के चारों मानको के अनुसार कंकरीट न बनाकर उसको पूरी तरह से ढक दिया है। इस मामले में एनजीटी ने पिछले साल पर्यावरणविद् की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए 3 नवंबर को यह आदेश पारित किया। इस केस की अगली सुनवाई 22 फरवरी 2024 को होगी।
22 फरवरी 2024 को उपस्थित होने का आदेश
ट्रिब्यूनल ने 24 मई 2022 को नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरणों को निर्देश दिया कि वे 23 मार्च 2018 को जारी सरकारी आदेश के तहत निर्धारित सीमा से अधिक दोनों शहरों में सड़कों के किनारे कंक्रीटीकरण का कोई कार्य न करें। 3 नवंबर को मामले की सुनवाई करते हुए एनजीटी के न्यायिक सदस्य अरुण कुमार त्यागी और विशेषज्ञ सदस्य डॉ. अफ़रोज़ अहमद ने विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों की व्यक्तिगत उपस्थिति की मांग की।
“मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए सचिव एमओईएफ एंड सीसी, सचिव आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय, (एमओएचयूए) सदस्य सचिव, सीपीसीबी (केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड) द्वारा अधिकृत अधिकारी, दोनों प्राधिकरण के सीईओ जिला मजिस्ट्रेट, गौतमबुद्धनगर सुनवाई की अगली तारीख यानी 22 फरवरी 2024 को उपस्थित होने के लिए कहा है।
एनजीटी के आदेश को अक्षरश: लागू नहीं किया गया
दरअसल, नोएडा ,ग्रेटर नोएडा में प्रदेश सरकार की गाइडलाइन का उल्लंघन करते हुए सड़क किनारे और पेड़ो के आसपास पक्का कंक्रीट किया जा रहा है। जिससे भूजल स्तर में गिरावट आ रही है। इस तरह के निर्माण से पर्यावरण पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है जिस वजह से एनजीटी ने पिछले वर्ष इस पर रोक लगा दी थी। याचिकाकर्ता विक्रांत तोंगड़ ने दावा किया कि प्राधिकरण के अधिकारी एनजीटी के 24 मई 2022 के आदेश को लागू करने के लिए गंभीर नहीं हैं।
तोंगड ने कहा, “एनजीटी के आदेश को अक्षरश: लागू नहीं किया गया है। इसके विपरीत, नोएडा या ग्रेटर नोएडा में सड़कों के किनारे की जगह को अभी भी कंक्रीट किया जा रहा है।” याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में नोएडा सेक्टर 28, 37, 47, 50, 55 और 62 और ग्रेटर नोएडा सेक्टर ओमेगा 1, अल्फा और पी 3 में कंक्रीट का जाल बिछा हुआ है।