-‘हम दुनिया को बताना चाहते कि गैंडे की सींग में कोई औषधीय गुण नहीं है’ : मुख्यमंत्री डॉ. सरमा
गोलाघाट (असम), 22 सितम्बर (हि.स.)। असम में बुधवार को विश्व राइनो दिवस पर एक सींग वाले 2,479 गैंडों के सींगों को जलाकर नष्ट किया गया। गोलाघाट जिला के बोकाखात स्थित एक सार्वजनिक खेल मैदान में गैंडों की सींग को जलाकर नष्ट करने के लिए एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। दक्षिण अफ्रीका के बाद भारत में पहली बार बड़ी मात्रा में गैंडों की सींग को नष्ट किया गया है।
मुख्यमंत्री डॉ. सरमा ने गैंडों की सींग को जलाने के संबंध में कहा कि, ‘ हम दुनिया को यह बताना चाहते हैं कि गैंडे की सींग में कोई औषधीय गुण नहीं है।’ जैसे हम ड्रग्स बेचकर सरकार नहीं चला सकते, उसी तरह से हम गैंडे की सींग को बेचकर भी सरकार नहीं चला सकते। कई लोगों ने कहा है कि सींग क्यों जलाया जा रहा है। सींग नहीं हमारे लिए गैंडों का जीवन ही गर्व की बात है। इस मौके पर राज्य के वन एवं पर्यावरण विभाग के मंत्री परिमल शुक्लबैद्य समेत अन्य सम्मानित व्यक्ति मौजूद थे।
गैंडों की सींग को जलाने से पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. सरमा ने पूरे विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की। राज्य के विभिन्न जिलों के कोषागारों में वर्षों से संरक्षित गैंडों की सींग को जलाने के लिए छह विशाल गैस की भट्ठियां बनाई गयी थीं। प्रत्येक भट्ठी में तीन स्तर पर सींग को रखकर जलाया गया।
असम वन विभाग के प्रधान मुख्य वन संरक्षक और एचओएफ एमके यादव ने गैंडों की सींग को जलाने के संबंध में पूर्व में गी कहा था, “बरपेटा, मोरीगांव, मंगलदै, तेजपुर नगांव, बीटीआर, गोलाघाट और कोहोरा के कोषागारों से गैंडों की सींग को बोकाखात लाकर कोषागार में जमा किए गए हैं।”
गत 16 सितम्बर को राज्य मंत्रिमंडल ने सर्वसम्मति से राज्य के कोषागारों में रखे 2,623 गैंडों की सींग में से 2,467 सींग को सार्वजनिक रूप से जलाने का फैसला किया। अकादमिक उद्देश्यों के लिए 94 गैंडों के सींग को संग्रह संपत्तियों के रूप में संरक्षित किया जाएगा, जबकि 29 सींग को लेकर कोर्ट में केस चल रहा है और 21 सींग को नकली पाया गया है। इसके चलते 50 सींगों को नहीं चलाया गया है।
असम के पर्यावरण मंत्री परिमल शुक्लाबैद्य द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि, “यह वृहद् एक सींग वाले गैंडे के सींगों के भंडार को नष्ट करने का सबसे बड़ा सार्वजनिक कार्यक्रम है। इसका उद्देश्य इस तथ्य को प्रचारित और सुदृढ़ करना है कि राइनो के सींगों का कोई औषधीय गुण नहीं है।”
बुधवार को 2,623 गैंडों की सींग में से 2,479 सींग को जला दिया गया। इससे पहले चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन के तहत एक कमेटी बनाई गई थी, जिसने गैंडों की सींग का मिलान किया था।
सरकार का उद्देश्य यह संदेश देना है कि गैंडों की सींग ‘नो मेडिकल पर्पस’ है। यह सिर्फ एक मिथक है। सिर्फ महत्वाकांक्षा को दर्शाने की है। सींगों के लिए गैंडों का अवैध शिकार कोई वास्तविक उपयोग नहीं है। क्योंकि इसमें ‘कोई चिकित्सा गुण नहीं’ है। ये मिथक अवैध शिकार के सबसे महत्वपूर्ण कारणों में से एक हैं। राज्य में यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब विश्व राइनो दिवस मनाया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि पूर्व की राज्य सरकारों के कार्यकाल के दौरान एक सींग वाले गैंडों का बड़ी संख्या में अवैध शिकार होता रहा है। राज्य में भाजपा की सरकार बनने के बाद इस पर लगभग पूरी तरह से रोक लग गयी है। गैंडों की सींग के लिए होने वाले अवैध शिकार को लेकर यह बातें कही जाती रही हैं कि इससे शक्तिवर्धक दवाइयां बनायी जाती हैं, जिसका मध्य एशिया के देशों में काफी मांग है।
गैंडों की सींग का सबसे बड़ा खरीदार सही अर्थों में पड़ोसी देश चीन है। भारत से नार्थ ईस्ट के देशों में तस्करी के जरिए गैंडों की सींग को अवैध शिकारी और विद्रोही संगठन भेजते थे। जहां से वह चीन तक पहुंच जाता था। उग्रवादी संगठनों का अर्थ उपार्जन का यह एक बड़ा जरिया रहा है। एक गैंडे की सींग की अंतरराष्ट्रीय बाजार में 25 से 40 लाख रुपये तक कीमत बतायी जाती रही है। यही कारण है कि कुछ लोग इसको नष्ट करने को लेकर सवाल उठा रहे हैं, जिस पर मुख्यमंत्री ने यह कहते हुए जवाब दिया है कि ड्रग्स और सींग के पैसे से सरकारें नहीं चलती हैं।
Publish by- shivam Dixit
@shivamniwan