– सेनाओं में आपसी सहमति बनाने के लिए सीडीएस तीनों सेना प्रमुखों से मिले
– तीनों सेनाओं में आम सहमति बनाकर फाइनल ब्लूप्रिंट बनाने की कोशिशें तेज
नई दिल्ली :- सेनाओं के आधुनिकीकरण और थिएटर कमांड्स बनाने के लिए अब नए सिरे से कवायद शुरू की गई है। खासकर एयर फोर्स की नाराजगी सामने आने के बाद तीनों सेनाओं में जल्द से आम सहमति बनाने की कोशिशें तेज की गई हैं ताकि स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से इसका ऐलान किया जा सके। दो साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से ही सीडीएस का पद सृजित किये जाने का ऐलान किया था।
भारतीय सेनाओं के ढांचे में आमूल-चूल सुधारों की जरूरत बहुत लंबे समय से महसूस की जा रही है। पाकिस्तान और चीन से मौजूद खतरे के चलते अब इन सुधारों का महत्व और बढ़ गया है। इसीलिए तीनों भारतीय सेनाओं को एक करके चीन और अमेरिका की तर्ज पर थिएटर कमांड बनाने के लिए रोडमैप तैयार किया गया है। मौजूदा समय में सेना और वायुसेना की सात-सात और नौसेना की तीन कमांड हैं। इन 14 कमांड्स को चार थिएटर कमांड में बदलने की जिम्मेदारी केंद्र सरकार ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत को सौंपी है। नए रोडमैप के मुताबिक 2022 तक दो जमीनी, एक एयर डिफेंस और एक समुद्री कमांड का गठन किया जाना है। इसके अलावा चीन और पाकिस्तान से निपटने के लिए अलग से एक-एक कमांड बनेगी। यह ”रोडमैप” लागू किये जाने पर भारत ऐसा करने वाला तीसरा देश हो जाएगा।
सेनाओं का पुनर्गठन होने पर हर थिएटर कमांड में तीनों सेनाओं की टुकड़ियां शामिल होंगी। सुरक्षा चुनौती की स्थिति में तीनों सेनाएं साथ मिलकर लड़ेंगी। इसका नेतृत्व केवल ऑपरेशनल कमांडर के हाथ में होगा। जम्मू-कश्मीर में ड्रोन से आतंकी हमले की साजिश के खुलासे के बाद आसमानी चुनौती से निपटने के लिए एयर डिफेंस कमांड (एडीसी) गठित करने की तैयारी तेज कर दी गई है। इसे 15 अगस्त से शुरू करने की तैयारी है जिसके जिम्मे पूरे एयरस्पेस की सुरक्षा होगी।यह एडीसी भारतीय वायुसेना, सेना और नौ सेना के संसाधनों को नियंत्रित करेगा। इसके साथ ही कमांड के पास हवाई दुश्मनों से सेना के हथियारों और प्रतिष्ठानों की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी होगी।कमांड का नेतृत्व भारतीय वायुसेना के थ्री स्टार ऑफिसर के हाथों में होगा।
वायु सेना थिएटर कमांड के रोडमैप पर शुरू से ही सहमत नहीं है लेकिन यह तनातनी तब और बढ़ गई जब सीडीएस रावत ने 02 जुलाई को भारतीय वायु सेना को थल सेना की ‘सहायक शाखा” बता दिया था। नए थिएटर कमांड के स्वरूप को लेकर सेनाओं के अधिकारी एकमत नहीं हैं। असहमति सबसे बड़ी वजह एकीकृत कमांड बनने के बाद अपना-अपना रुतबा खोने की ”चिंता” है। सहमति बनाने के लिए पिछले हफ्ते भारतीय सेनाओं के उच्च अधिकारियों की एक बैठक हुई है। बैठक में उन बड़े बदलावों पर चर्चा हुई है जिनके जरिए सेनाओं की क्षमताओं को मिलाकर बेहतर प्रयोग किया जा सके।इन बैठकों में एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया, सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे और नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह सहित अन्य अधिकारी शामिल थे।
थिएटर कमांड के निर्माण पर चर्चा करने के लिए सीडीएस रावत ने तीनों सेना प्रमुखों से अलग-अलग मुलाकात भी की है। इस मामले पर जल्द ही और चर्चा की जाएगी। सेनाओं की नाराजगी दूर करने के लिए अब इस विकल्प पर भी विचार किया जा रहा है कि थिएटर कमांडर अपने-अपने सेना प्रमुखों के ही अधीन रहें।योजना के अनुसार थलसेना के अधिकारी पूर्वी और पश्चिमी थिएटरों में भूमि-आधारित कमांड्स का नेतृत्व करें, जबकि उत्तर को फिलहाल अकेला छोड़ दिया जा रहा है। नौसेना समुद्री थिएटर कमांड का नेतृत्व करेगी जबकि वायुसेना के अधिकारी वायु रक्षा कमान का नेतृत्व करेंगे। युद्ध के समय में समन्वय बढ़ाने के लिए तीनों सेनाएं अभी भी आपस में इस मुद्दे पर चर्चा कर रही हैं।