कानपुर: बीते साल उत्तर प्रदेश के कानपुर में हुए बिकरू कांड में गठित आयोग की जांच पूरी कर ली गई है। जांच में तत्कालीन डीआईजी अंनत देव तिवारी समेत 12 डिप्टी एसपी स्तर के पुलिस कर्मियोंं को दुर्दांत विकास दुबे को शरण दिए जाने व कार्रवाई में नरमी बरते जाने का दोषी पाया गया है।
गौरतलब है कि बिकरू कांड को अंजाम देने वाला गैंगस्टर विकास दुबे मारा गया और पुलिस ने उसके गैंग का पूरी तरह से सफाया कर चौबेपुर इलाके को अपराधियों से पूरी तरह से मुक्त करा दिया। अब अपराधी के मददगारों पर शिकंजा कसना शुरू हो गया है। जांच आयोग ने अपनी रिपोर्ट पेश कर दी है।
‘इन अफसरों को पाया गया दोषी’
जांच आयोग ने कानपुर के तत्कालीन डीआईजी रहे अंनत देव तिवारी के साथ डीएसपी सूक्ष्म प्रकाश, आरके चतुर्वेदी, करुणाशंकर राय, पासपोर्ट नोडल अफसर अमित कुमार, नंदलाल प्रताप, हरेंद्र कुमार यादव, सुंदरलाल, प्रेम प्रकाश, राम प्रकाश, सुभाष चंद्र और लक्ष्मी निवास को दोषी पाया है। आयोग ने इन सभी के खिलाफ कार्रवाई की संतुति की है। आयोग ने पाया है कि बिकरू कांड के पीछे इनकी मिलीभगत व घोर उदासीन रवैया अपनाया गया है। साथ ही साथ विकास दुबे को शरण देने और उस पर नरमी बरतने में पुलिस कोई कसर नहीं छोड़ी। इसलिए इन सभी को दोषी ठहराया है।
‘इस तरह की दी जा सकती हैं सजा’
बिकरू कांड में पीठासीन अधिकारी नियुक्त कर आरोपों की जांच होती है। इसमें आरोपी को पक्ष लिखने का मौका भी दिया जाता है। दोषी को तीन तरह की सजा का प्रावधान है। पहली ऐसी बर्खास्तगी, जिसमें सभी प्रकार की सरकारी नौकरी के लिए आयोग्य घोषित कर दिया जाएगा। दूसरी केवल विभागीय बर्खास्तगी और तीसरी न्यूनतम वेतनमान कटौती किए जाने की कार्रवाई को अमल में लाया जा सकता है।