– पड़ोसी मीडिया में दावा- एस जयशंकर ने एफएटीएफ के राजनीतिक इस्तेमाल की बात स्वीकारी
– रोजनामा खबरें ने शायर मुनव्वर राना के यूपी छोड़ने वाले बयान को दी अहमियत
नई दिल्ली :- पाकिस्तान से सोमवार को प्रकाशित अधिकांश समाचारपत्रों ने पाकिस्तान स्थित अफगानिस्तानी राजदूत की बेटी के अपहरण और उस पर चले हाईवोल्टेज ड्रामे से जुड़ी खबरें प्रकाशित की हैं। अखबारों ने लिखा है कि अफगानिस्तानी राजदूत की बेटी के अपहरण के मामले में जांच चल रही है। इस बीच राजदूत के अफगानिस्तान वापस जाने से यह मामला काफी पेचीदा हो गया है।
पाकिस्तान के गृह मंत्री शेख रशीद का कहना है कि अफगानी राजदूत की बेटी का अपहरण नहीं हुआ था। इसकी गुत्थी जल्द सुलझ जाएगी। उधर विदेश मंत्रालय ने अफगानी राष्ट्रपति अशरफ गनी के राजदूत को वापस बुलाने के फैसले पर पुनर्विचार किए जाने का की भी मांग की है। अफगानिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि पुख्ता सुरक्षा मिलने तक राजदूत को वापस पाकिस्तान नहीं भेजा जाएगा। पाकिस्तानी सुरक्षा अधिकारियों का कहना है कि अपहरण के कांड में भारत के हाथ होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। उनका कहना है कि जल्दबाजी में जांच को प्रभावित करने के लिए राजदूत को वापस बुलाया गया है।
अखबारों ने तालिबान अमीर मौलवी हेबतउल्ला का ईद-उल-अजहा के मौके पर दिया गया एक बयान छपा है जिसमें उसने कहा है कि अफगानिस्तान की जमीन किसी के भी खिलाफ इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं दी जाएगी। उसका कहना है कि हमारे अंदरुनी मामलात में दुनिया की ताकतें दखल नहीं दें सकती हैं। उसका यह भी कहना है कि हम अफगानिस्तान समस्या का राजनीतिक हल चाहते हैं। उसने अफगानिस्तान के दुनिया भर में मौजूद दूतावासों में कार्यरत राजदूतों से अपने काम जारी रखने को कहा है। उसने यह भी कहा है कि हमारी किसी से कोई दुश्मनी नहीं है।
अखबारों ने अमेरिकी इंटेलिजेंस सर्विस के हवाले से भी एक खबर दी है जिसमें कहा गया है कि अफगानिस्तान में तालिबान को इतनी जल्दी सत्ता के करीब पहुंचने कि उन्हें उम्मीद नहीं थी। अखबारों ने लिखा है कि अमेरिकी इंटेलिजेंस सर्विस ने अमेरिकी प्रशासन को तालिबान की बढ़ती ताकत से अवगत करा दिया है।
अखबारों ने भारतीय विदेश मंत्री का एक बयान भी प्रकाशित है जिसमें उन्होंने यह स्वीकार किया है कि भारत के जरिए एफएटीएफ का राजनीतिक इस्तेमाल किया गया है। अखबारों का कहना है कि एस जयशंकर ने कहा है कि भारत की कोशिशों से ही पाकिस्तान एफएटीएफ की ग्रे-लिस्ट में अभी भी बना हुआ है। अखबारों ने यह भी लिखा है कि विदेश मंत्री ने कहा है कि भारत, चीन के किसी दबाव में नहीं आएगा और ना ही झुकेगा।
अखबारों ने प्रधानमंत्री इमरान खान के जरिए पाक अधिकृत कश्मीर में चल रहे चुनाव के दौरान एक चुनावी रैली में भारत पर निशाना साधने की खबरें भी दी हैं। अखबारों ने लिखा है कि इमरान खान ने कहा है कि भारत जम्मू-कश्मीर में आबादी का प्रतिनिधित्व बदलकर जुर्म कर रहा है। उनका कहना है कि पाकिस्तान जम्मू कश्मीर का मामला दुनियाभर में उठाता रहेगा। अखबारों ने अफगानिस्तान में तालिबान की मजबूत हो रही पकड़ और राष्ट्रपति अशरफ गनी की कमजोर स्थिति को देखते हुए काबुल से करोड़ों डॉलर मनी लांड्रिंग के जरिए ब्रिटेन, दुबई और यूरोपियन यूनियन के देशों में भेजे जाने की खबरें भी दी है। अखबारों ने लिखा है कि ज्यादातर डॉलर अमेरिका की बनाई गई एयरलाइन के जरिए इन देशों को भेजी गई है। यह सभी खबरें रोजनामा पाकिस्तान, रोजनामा दुनिया, एक्सप्रेस, रोजनामा खबरें, नवाएवक्त, औसाफ और रोजनामा जंग ने अपने पहले पन्ने पर छापी हैं।
रोजनामा खबरें ने भारत के अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त शायर मुनव्वर राना के उस बयान को प्रकाशित किया है जिसमें उन्होंने कहा है कि अगर उत्तर प्रदेश में दोबारा योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बनते हैं तो वह प्रदेश छोड़ देंगे। उनका कहना है कि योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री रहते हुए उत्तर प्रदेश में मुसलमानों खास तौर से अल्पसंख्यकों पर जुल्म किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा है कि अगर आने वाले विधानसभा चुनाव में आदित्यनाथ दोबारा चुनाव जीतकर मुख्यमंत्री बनते हैं तो उत्तर प्रदेश छोड़कर कहीं और रहने के लिए चले जाएंगे। उनके बयान का भारतीय जनता पार्टी और उससे जुड़े संगठनों की तरफ से जोरदार विरोध किया जा रहा है।
रोजनामा दुनिया ने भारत में संसद के मानसून सत्र के दौरान आंदोलन कर रहे किसानों की उस घोषणा को महत्व दिया जिसमें उन्होंने संसद का घेराव करने की चेतावनी दी है। अखबार का कहना है कि किसानों के संसद का घेराव करने के ऐलान के बाद दिल्ली को सख्त पहरे में तब्दील कर दिया गया है। दिल्ली से जुड़े सभी बॉर्डर पर कड़ी निगाह रखी जा रही है। अखबार का कहना है कि पिछले एक साल से भी ज्यादा समय से किसान भारत में पास किए गए तीन किसान विरोधी कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं। किसान दिल्ली के बॉर्डर पर पिछले जमे हुए हैं और वहां पर अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं।