— थोक कारोबारी दीपावली के लिए दे रहे हैं बड़े ऑर्डर
— कोविड काल में अंजीर की बाजार में बराबर बढ़ रही मांग
कानपुर :- पड़ोसी देश अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा हो गया और वैश्विक पटल पर आतंकवाद का मुद्दा एक बार फिर छा गया है। लेकिन इसका सीधा असर भारत के बाजारों में दिखने लगा है। इससे उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े किराना बाजार कानपुर भी अछूता नहीं है और यहां के थोक से लेकर फुटकर बाजार में मेवा के दामों में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। आगामी दीपावली के त्योहार को देखते हुए बड़े कारोबारी राष्ट्रीय स्तर के बाजारों में बड़े आर्डर दे रहे हैं, लेकिन उनको माल मिलने की संभावना नहीं दिख रही है। ऐसे में दीपावली तक मेवा के दामों में कहां तक बढ़ोत्तरी होगी बड़े कारोबारी भी अनुमान नहीं लगा पा रहे हैं।
अफगानिस्तान में हुए तालिबानी कब्जे के बाद उसका सीधा असर अब उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े किराना बाजार कानपुर में साफ दिखाई देने लगा है। यहां पर दर्जनों जनपदों के आने वाले व्यापारी मेवे की मांग कर रहे हैं तो थोक विक्रेता मांग के अनुसार माल देने में असमर्थता जाहिर कर रहे हैं। हालांकि दामों में हुई बढ़ोत्तरी के बाद कई दिनों तक बिक्री सामान्य से कम रही, लेकिन अफगानिस्तान पर तालिबान का संकट कम न होता देख व्यापारी दीपावली के त्योहार को लेकर अपने-अपने जनपदों में अभी से स्टॉक करना शुरु कर दिये हैं। यहां के मेवा बाजार नयागंज से रोजाना करोड़ों रुपयों का मेवा उत्तर प्रदेश के अलग-अलग शहरों में जाता है, जिस पर फिलहाल कमी दिख रही है।
नयागंज ड्राईफ्रूट्स एसोसिएशन के उपाध्यक्ष अलंकार ओमर ने बताया कि बाजार में आने वाले अंजीर, पिस्ता, हरा जीरा, खुमानी जैसे ड्राई फूट्स की सप्लाई अफगानिस्तान से ही होती थी, लेकिन वहां तालिबान के कब्जे और उथल पुथल से यह बाजार पूरी तरीके ठप हो चुका है।
महामंत्री सुरेन्द्र भसीन ने बताया कि अफगानी माल के न आने से इन सब ड्राई फ्रूट्स के दामों 25 से 30 फीसदी की बढ़ोत्तरी अब तक हो चुकी है। आगे कहा कि अगर जल्द वहां के हालात नहीं सुधरे तो इस बाजार यह ड्राईफ्रूट्स और महंगे होंगे। बताया कि कानपुर में जो भी माल आता था वह जम्मू कश्मीर से आता था, लेकिन अफगानिस्तान में बिगड़े हालात से जम्मू कश्मीर की बाजार में वहां से माल ही नहीं आ पा रहा है।
मेवों के दामों में हुई बढ़ोत्तरी
अलंकार ओमर ने बताया कि अंजीर की कीमतों में 250 रुपये प्रति किलो की वृद्धि दर्ज हुई है। यही हाल किशमिश, पिस्ता, सूखी खुमानी और जीरा का भी है। बदाम गिरी के दाम 400 से 600 रुपये तक प्रति किलोग्राम बढ़ गए हैं। पिस्ता के दाम जून में 1,500 रुपये किलो था। तब इसके रेट बढ़ने के पीछे कम पैदावार होने के बात कही गई थी। अब इसके रेट 2,100 रुपये पहुंच गए हैं।
पेट्रोलियम पदार्थ भी बना कारण
अलंकार ओमर ने बताया कि ज्यादातर सूखा मेवा अफगानिस्तान से आता है और इस वर्ष पैदावार भी कम हुई है। रही बात बढ़ोत्तरी की तो अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के साथ पेट्रोलियम पदार्थ भी कारण है। बताया कि पेट्रोलियम पदार्थों में कोविड काल में जबरदस्त बढ़ोत्तरी हुई, जिससे मालभाड़ा महंगा हो गया और उसका सीधा असर किराना बाजार में भी पड़ा।
भारत की पूर्ति को पूरा करेगा ईरान
सुरेन्द्र भसीन का मानना है कि अफगानिस्तान में हालात जरुर अभी बिगड़े हैं, लेकिन व्यापार पूरी तरह से बंद नहीं होना चाहिये, क्योंकि रुपयों की सभी को जरुरत है। अगर वहां से व्यापार बंद भी हो जाता है तो ईरान से पूर्ति हो सकती है। बताते हैं कि दुनिया में भारत को ड्राईफ्रूट्स सप्लाई करने में ईरान का तीसरा नंबर है। इससे भारत के रिश्ते काफी अच्छे हैं। दोनों देशों के बीच व्यापार आगे भी बेहतर ढंग से होता रहेगा। ईरान से पिस्ता डोडी, पिस्ता मगज, बादाम मामरा, बादाम कौमी, आलू बुखारा, अंजीर और 70 से 80 हजार टन खजूर आता है।
काजू की बढ़ेगी मांग
अलंकार ओमर बताते हैं कि दुनिया भर में काजू की सबसे अधिक खपत भारत में है। काजू का उत्पादन भारत के दक्षिणी राज्यों में होता है और अब वहां से बराबर काजू आ रहा है। हालांकि मालभाड़ा बढ़ने से उसमें भी कुछ बढ़ोत्तरी हुई है, लेकिन मेवा के रुप में काजू की मांग बढ़ना स्वाभाविक दिख रहा है।
Publish by- shivam Dixit
@shivamniwan