गोरखपुर :- बरसात में भिंडी की होने वाली खेती न सिर्फ खेती किसानों के लिए फायदेमंद है, बल्कि इसमें सेहत का खजाना भी है। इसे जुलाई में बोकर किसान अच्छा लाभ कमा सकते हैं। इतना ही नहीं, यह स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद हैं। छोटी और पतली दिखने वाली भिंडी में सेहत का राज छिपा है।
कृषि वैज्ञानिक डॉ आदित्य प्रकाश द्विवेदी के मुताबिक एक एकड़ भूमि में 40 से 53 क्विंटल उत्पादन लिया जा सकता है। लेकिन इसके लिए फसल बोने से पहले मिट्टी और पानी की जांच जरूरी है। उन्नत व संकर किस्मों के बीज का चयन भी मायने रखता है।
भिंडी की किस्म
कृषि तकनीकी सहायक आलोक श्रीवास्तव की मानें तो वर्षा उपहार किस्म भिंडी का बीज पीलिया रोगरोधी क्षमता वाली है। पैदावार 40 क्विंटल प्रति एकड़ है। इसके पौधे मध्यम व लंबे दोनों तरह के हैं। इनके दो गांठों के बीच की दूरी कम होती है। फल, लंबे सिरे वाले चमकीले मध्यम मोटाई के होते हैं। 5 कोरों वाली यह किस्म 45 दिन में फल देने लगती है। ”हिसार नवीन” किस्म भी रोगरोधी है। यह गर्मी व वर्षा दोनों के लिए उपयुक्त है। औसत पैदावार 40-45 क्विंटल प्रति एकड़ है। एचबीएच-142 संकर किस्म की भिंडी भी पीलिया रोगरोधी क्षमता वाली है और इसे वर्षाकाल में बोने के लिए उपयुक्त माना जाता है। इसके फल 8-10 सेंटीमीटर लंबे, मोटाई मध्यम व पांच कोर वाले होते हैं। इसकी औसत 53 क्विंटल प्रति एकड़ है।
ऐसे करें तैयारी
भिंडी लगाने से पहले खेत की मिट्टी व पानी की जांच अवश्य करा लें। मिट्टी को अच्छी भुरभुरी करें। बुवाई से करीब 3 सप्ताह पहले गोबर की खाद 10 टन प्रति एकड़ खेत में जुताई करते समय डालें। वर्षाकालीन फसल के लिए खेत को उचित नाप की क्यारियों में बांट लें। बुवाई का समय जून-जुलाई है। खेत में ढाई-तीन किलो बीज प्रति एकड़ के हिसाब से डालें। पंक्ति की दूरी 45 से 60 सेंमी और पौधे का फासला 30 सेंटीमीटर रखे। बीज को रात को पानी में भिगो दें। भिगोने के बाद बीज को छाया में सुखाकर बुवाई करें।
खाद व सिंचाई
बुवाई के 3 सप्ताह पहले 10 टन गोबर की खाद प्रति एकड़ डालें। 40 किलोग्राम नाइट्रोजन तथा 24 किलोग्राम फास्फोरस भी प्रति एकड़ डालें। बुवाई पलेवा देकर करें और बाकी सिंचाई समयानुसार करें। बुवाई से एक दिन पहले फ्लुक्लोरालिन नाम की दवा का 400 ग्राम 250 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। इसके तुरंत बाद 3-4 सेंटीमीटर गहरी रैंक देने से भिंडी की सब्जी व बीज वाली फसलों में खरपतवार का नियंत्रण किया जा सकता है। समय-समय पर भिंडी की निराई-गुड़ाई जरूर करें।
ऐसे करें तुड़ाई
भिंडी के फलों को नरम अवस्था में रेशा बनने से पहले तोड़ लेना चाहिए। फसल की तुड़ाई किस्म के अनुसार 45 से 55 दिन में शुरू हो जाती है। फलों की तुड़ाई एक दिन के अंतराल पर करें। कीटनाशक छिड़काव से पूर्व फल तोड़ लें और आसपास खड़ी खरपतवार को उखाड़ दें।
– बालो को सुंदर घना, लम्बा, काला बनाने के लिए हरी पतली भिंडी कारगर है। भिंडी से निकलने वाला रेसा बालों को ब्राऊन बनाता है।
फायदे और नुकसान
– भिंडी खाने से खुजली, शुष्क बल और रूसी ख़त्म होते हैं। बेजान और घुंघराले बालों को सुरक्षा मिलती है।
– इसे खाने से आँखों के नीचे से काले धब्बे हल्के होते हैं। आँखों की रोशनी बढ़ती है।
– भिंडी में एंटीऑक्सीडेंट, बीटा कैरोटीन, जेनथेन, ल्यूटिन और एक्सैथीन उपस्थित होता है। भिंडी में विटामिन ”ए” की अधिकता होती है।
– भिंडी में पाए जाने वाला अघुलनशील फाइबर आंतों के मार्ग को साफ करता है।
– रक्त दूषित होने के खतरों को कम करता है। इसमें मौजूद उच्च एंटीऑक्सीडेंट हानिकारक मुक्त कणों से प्रतिरक्षा प्रणाली की सुरक्षा में मदद करता है। कोशिकाओं के उत्परिवर्तन को रोकते हैं।
– इसके घुलनशील फाइबर शरीर में मौजूद पानी में घुल जाते हैं। इससे पाचन क्रिया दुरुस्त होती है।
– भिंडी रक्त में हीमोग्लोबिन का निर्माण करती है। अनीमिया से बचाती है।
– इसमें पाया जाने वाला विटामिन ”के” हड्डियों को मजबूत बनाने में सहायक है।
– विटामिन सी की प्रचुरता है।
– इसमें मौजूद उच्च विटामिन ”सी” सामान्य प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाती हैं।
– भ्रूण के मस्तिष्क विकास में अहम भूमिका निभाती है।
– उच्च कोलेस्ट्रॉल को काबू करने का कारगर उपाय है।
(डॉ संजय कुमार द्विवेदी, कृषि वैज्ञानिक)