Rahul Gandhi : कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मंगलवार को नरेंद्र मोदी सरकार पर आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा करने में नाकामी का आरोप लगाया। उन्होंने सरकार से वन अधिकार अधिनियम (एफआरए) का बचाव करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में त्वरित कदम उठाने की अपील की। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने अपनी एक्स (पूर्व ट्विटर) पर एक पोस्ट में कहा कि मोदी सरकार वन अधिकार अधिनियम की अवहेलना कर रही है, जिसके कारण लाखों आदिवासी परिवार अपनी पारंपरिक भूमि से बेदखल होने के कगार पर हैं।
राहुल गांधी ने कहा कि 2006 में कांग्रेस सरकार ने आदिवासियों के जल, जंगल और जमीन पर अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए वन अधिकार अधिनियम लागू किया था। यह ऐतिहासिक कदम था, जिसे आदिवासियों के पारंपरिक अधिकारों की रक्षा करने के लिए उठाया गया था। लेकिन, मोदी सरकार की निष्क्रियता के कारण, इस कानून के तहत लाखों वास्तविक दावे बिना किसी समीक्षा के मनमाने ढंग से खारिज कर दिए गए हैं।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश और सरकार की नाकामी
राहुल गांधी ने यह भी दावा किया कि 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने उन सभी लोगों को बेदखल करने का आदेश दिया था, जिनके वन अधिकार के दावे खारिज कर दिए गए थे। इस कदम ने पूरे देश में विरोध प्रदर्शनों को जन्म दिया था। हालांकि, कोर्ट ने बाद में बेदखली की प्रक्रिया पर रोक लगा दी और खारिज किए गए दावों की गहन समीक्षा करने का आदेश दिया।
राहुल गांधी का आरोप है कि मोदी सरकार इस मामले में सक्रियता नहीं दिखा रही है और इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं ले रही है। उन्होंने कहा, “2019 में, सरकार इस कानून का बचाव करने में असफल रही और आज भी आदिवासियों के अधिकारों के लिए खड़ा होने का कोई इरादा नहीं दिखाती है।”
आदिवासी अधिकारों की रक्षा के लिए कदम उठाने की आवश्यकता
राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने कहा कि सबसे बुरी बात यह है कि लाखों लंबित और खारिज किए गए दावों की समीक्षा या पुनर्विचार का कोई गंभीर प्रयास नहीं किया गया है। उन्होंने मोदी सरकार से अपील की कि यदि सरकार वास्तव में आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा करना चाहती है और लाखों परिवारों को बेदखली से बचाना चाहती है, तो उसे सुप्रीम कोर्ट में वन अधिकार अधिनियम का बचाव करने के लिए तुरंत कदम उठाना चाहिए।