Ayodhya : रामजन्मभूमि परिसर में एक ऐतिहासिक और अद्भुत घटना का ट्रायल किया गया, जिसमें सूर्य तिलक की व्यवस्था का परीक्षण किया गया। इस ट्रायल के दौरान, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के वैज्ञानिकों ने एक मिनट तक सूर्य की किरणों को रामलला के मस्तक पर सफलतापूर्वक लाते हुए एक अद्वितीय अनुभव प्रस्तुत किया। यह व्यवस्था 6 अप्रैल को सूर्य की किरणों को रामलला के मस्तक पर पहुंचाने के लिए की जा रही है।
पिछले वर्ष अस्थायी रूप से रामलला का सूर्य तिलक किया गया था, लेकिन इस बार स्थायी रूप से सूर्य तिलक की व्यवस्था की जा रही है, जिसे मंदिर के निर्माण के पूरा होने के बाद वैज्ञानिकों द्वारा सुचारू रूप से स्थापित किया जा रहा है। रामनवमी के अवसर पर, चार मिनट तक भगवान सूर्य रामलला के मस्तक पर तिलक करेंगे। यह एक धार्मिक और वैज्ञानिक मील का पत्थर माना जा रहा है, जहां आध्यात्मिकता और विज्ञान का अद्भुत संगम देखा जा रहा है।
हिंदू नववर्ष 2082 का उल्लास और सूर्योदय की आरती
इसी बीच, अयोध्या (Ayodhya) में हिंदू नववर्ष 2082 के स्वागत की धूम थी। नववर्ष की पूर्व संध्या पर, अयोध्या में विभिन्न मंदिरों से झांकियों का आयोजन किया गया, जिसमें संत, महंत और भक्तों ने रामकोट की परिक्रमा की। हिंदू नववर्ष के पहले सूर्योदय पर, वैदिक ब्राह्मणों और संतों ने सूर्य को नमन करते हुए अयोध्या में विशेष पूजा अर्चना की।
नववर्ष के पहले सूर्योदय पर, सैकड़ों भक्तों ने रामनगरी में सरयू के तट पर उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया और उसके बाद सूर्य की आरती उतारी। इस धार्मिक आयोजन में मातृशक्ति, वैदिक बटुक और आरएसएस के कार्यकर्ता भी शामिल हुए। महापौर महंत गिरीश पति त्रिपाठी के नेतृत्व में यह आयोजन हुआ, जिसमें सैकड़ों लोगों ने सरयू जल से अर्घ्य देकर सूर्योदय की पूजा अर्चना की।
यह दृश्य बेहद खूबसूरत और आध्यात्मिक था, जहां वैदिक मंत्रोच्चार के बीच सरयू के तट पर सूर्योदय के समय एक दिव्य वातावरण बना हुआ था। इस आयोजन ने न केवल हिंदू नववर्ष का स्वागत किया, बल्कि अयोध्या में आध्यात्मिकता और धार्मिकता का अद्वितीय संगम भी प्रस्तुत किया।
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