Noida: गौतमबुद्ध नगर में किसानों की समस्याओं को लेकर एक बार फिर वकीलों ने मोर्चा खोल दिया है। जनपद दीवानी एवं फौजदारी बार एसोसिएशन (गौतमबुद्ध नगर) ने किसानों के मुद्दों को लेकर प्रशासन की नीतियों पर कड़ा रुख अपनाते हुए अधिकारियों को “हिटलर” करार दिया है। वकीलों ने प्रशासन को चेतावनी दी है कि यदि किसानों की समस्याओं का समाधान शीघ्र नहीं हुआ, तो वे बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन करेंगे।
बार एसोसिएशन की कार्यकारिणी की एक विशेष बैठक सोमवार को आयोजित की गई, जिसकी अध्यक्षता बार एसोसिएशन के अध्यक्ष एडवोकेट उमेश भाटी ने की और संचालन सचिव एडवोकेट धीरेन्द्र भाटी ने किया। बैठक में वकीलों ने किसानों के हितों के लिए एकजुट होकर आवाज उठाने का संकल्प लिया।
प्रशासन पर किसानों की मांगों को नजरअंदाज करने का आरोप
बैठक में वकीलों ने नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना विकास प्राधिकरण पर किसानों की जमीन जबरन हड़पने और मुआवजे के साथ पुनर्वास की मांगों को लगातार नजरअंदाज करने का आरोप लगाया। किसानों की मुख्य मांगें –
- 64.7 प्रतिशत अतिरिक्त मुआवजा।
- 10 प्रतिशत आबादी प्लॉट।
- एक सरकारी नौकरी।
- लीज बैंक की प्रक्रिया पूरी करना।
वकीलों ने कहा कि किसानों की इन मांगों को लंबे समय से अनसुना किया जा रहा है, जिससे उनकी समस्याएं और गहरी होती जा रही हैं।
“हिटलरशाही” करार दी प्रशासन की कार्रवाई
बार एसोसिएशन के अध्यक्ष उमेश भाटी ने आरोप लगाया कि प्राधिकरण की दमनकारी नीतियों के चलते किसानों और वकीलों को अन्याय का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि शांतिपूर्ण धरना दे रहे किसानों और अधिवक्ताओं को विधि विरुद्ध गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। इस कार्रवाई को “हिटलरशाही” करार देते हुए इसे संवैधानिक अधिकारों का हनन बताया गया।
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बार एसोसिएशन की प्रमुख मांगें
बैठक में बार एसोसिएशन ने प्रशासन के सामने निम्न मांगें रखीं:
- गिरफ्तार अधिवक्ताओं और किसानों को तत्काल रिहा किया जाए।
- किसानों के परिजनों को उनसे मुलाकात की अनुमति दी जाए।
- जेल में बंद किसानों और वकीलों को सामान्य वार्ड में स्थानांतरित किया जाए।
प्रशासन को चेतावनी
बार एसोसिएशन ने साफ किया कि यदि किसानों और वकीलों की मांगों को जल्द पूरा नहीं किया गया, तो संगठन किसानों के साथ मिलकर उग्र प्रदर्शन करेगा। एडवोकेट उमेश भाटी ने कहा, “संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करना हर नागरिक का कर्तव्य है। प्रशासन को किसानों की जायज मांगों को तुरंत मानना चाहिए और दमनकारी नीतियों को समाप्त करना चाहिए।”