Bharat Band: देश की दस प्रमुख ट्रेड यूनियनों के संयुक्त संघ द्वारा आज बुधवार को केंद्र सरकार की नीतियों, खासकर नए लेबर कोड और निजीकरण के खिलाफ राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान किया गया। लेकिन राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और एनसीआर में इस हड़ताल का असर बेहद सीमित और आंशिक रूप से ही देखने को मिला।
दिल्ली के अधिकांश बाजारों और व्यावसायिक क्षेत्रों में जनजीवन सामान्य रहा। कनॉट प्लेस, चांदनी चौक, शाहदरा, नांगलोई, कृष्णा नगर और पत्थर मार्केट जैसे प्रमुख इलाकों में सभी दुकानें रोज़मर्रा की तरह खुली रहीं। सरकारी और निजी कार्यालयों में कर्मचारियों की उपस्थिति भी सामान्य रही, जबकि पब्लिक ट्रांसपोर्ट सेवाएं बिना किसी बाधा के चलती रहीं।
जंतर मंतर पर हुआ विरोध प्रदर्शन
हालांकि दिल्ली के जंतर मंतर पर कुछ ट्रेड यूनियनों से जुड़े कर्मचारियों ने प्रदर्शन किया और केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ नाराज़गी जताई। यूनियनों का आरोप है कि नए श्रम कानूनों के तहत मजदूरों के अधिकारों का हनन हो रहा है और सरकार कॉर्पोरेट्स के हित में काम कर रही है।
रेलवे यूनियनों का नैतिक समर्थन
रेलवे यूनियनों ने हड़ताल को नैतिक समर्थन देने की बात तो कही, लेकिन उन्होंने कामकाज बंद करने से इनकार किया। यूनियनों ने साफ कहा कि रेल सेवाएं रोकना आम जनता के हित में नहीं है और इससे यात्रियों, मरीजों, विद्यार्थियों और कामकाजी लोगों को अनावश्यक परेशानी हो सकती है।
चांदनी चौक से सांसद प्रवीण खंडेलवाल की प्रतिक्रिया
चांदनी चौक से सांसद और व्यापारिक नेता प्रवीण खंडेलवाल ने भारत बंद को पूरी तरह “बेअसर” बताया। उन्होंने कहा कि देशभर के किसी भी वाणिज्यिक बाज़ार पर बंद का कोई असर नहीं पड़ा है और सभी व्यापारी केंद्र सामान्य रूप से खुले रहे हैं।
फल विक्रेताओं और रिक्शा चालकों पर भी नहीं पड़ा असर
नांगलोई विधानसभा क्षेत्र में हड़ताल का कोई असर नहीं दिखा। ई-रिक्शा, बैटरी रिक्शा, टैक्सी, फल विक्रेता और अन्य दुकानदार अपने रोज़मर्रा के काम में लगे दिखे। स्थानीय चालकों और व्यापारियों का कहना था कि उन्हें किसी भी यूनियन से कोई जानकारी या निर्देश नहीं मिले थे।
ट्रेड यूनियनों की मांगें और आरोप
हड़ताल का आह्वान करने वाली यूनियनों में इंटक, एटक, सीटू, एआईयूटीयूसी, एचएमएस, और यूटीयूसी शामिल हैं। इन यूनियनों का कहना है कि सरकार की नीतियां मजदूर-विरोधी, किसान-विरोधी और राष्ट्र-विरोधी हैं। वे श्रम कानूनों में संशोधन, निजीकरण, ठेका प्रथा और मजदूरों के अधिकारों के हनन का विरोध कर रहे हैं। उनकी मुख्य मांगों में न्यूनतम वेतन, सुरक्षित रोजगार और सामाजिक सुरक्षा की गारंटी शामिल है।
दिल्ली में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
हड़ताल के मद्देनज़र दिल्ली पुलिस और प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए। शहरभर में पुलिस बल तैनात किया गया ताकि किसी भी जबरन बंद की कोशिश को रोका जा सके। दिल्ली पुलिस के अनुसार, राजधानी में हालात पूरी तरह सामान्य रहे और किसी भी तरह की अव्यवस्था की सूचना नहीं मिली।
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