बांदा: उद्योग विभाग बांदा में पूर्व सहायक उपायुक्त सर्वेश कुमार दीक्षित ने कहा कि पुलिस ने मुझे जिन आरोपों में गिरफ्तार किया है। उसमें हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने मुझे बरी कर दिया था। अपनी गिरफ्तारी के पीछे बांदा के सदर विधायक प्रकाश द्विवेदी का हाथ बताया और कहा कि उन्होंने गलत कार्यों के लिए मुझ पर दबाव बनाया, दबाव न मानने पर मुझे झूठे केसों में फंसाया गया।
पूर्व सहायक उपायुक्त को पुलिस ने सोमवार की रात 10 बजे रोडवेज बस स्टैंड से गिरफ्तार होना दर्शाया है। इस बारे में कोतवाली नगर प्रभारी योगेंद्र सिंह ने बताया कि कोर्ट स्टे से बहाली होने पर वह लखनऊ से बांदा जॉइनिंग में आया था। तभी बस स्टैंड से गिरफ्तार कर लिया गया। जबकि सर्वेश कुमार दीक्षित ने बताया कि उन्हें सोमवार को सवेरे लखनऊ स्थित आवास से गिरफ्तार किया गया। उन्होंने बताया कि मेरे ऊपर जो आरोप लगाए गए हैं उस पर रिट संख्या 1610 के तहत सुनवाई में हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने मुझे न सिर्फ बरी किया है बल्कि नौकरी में भी बहाल कर दिया है।
उन्होंने बताया कि पुलिस लाइन में औद्योगिक आस्थान पर लालवानी का प्लाट विधायक भाजपा के नेता संतोष कुमार गुप्ता के नाम करवाना चाहते थे, मैंने ऐसा करने से मना कर दिया। इस पर मुझे मुझ पर दबाव बनाया गया और ऐसा न करने पर घर पर बुलाकर विधायक ने मुझे जूते से पीटा था। उसके बाद मैं ट्रांसफर करा कर चला गया और अपने साथ हुई घटना की जानकारी अपने उच्चाधिकारियों को दी थी। पुलिस लाइन स्थित विभाग के भूखंडों को बेचने के आरोप को खारिज करते हुए कहा कि मेरे पास इस तरह के कोई अधिकार नहीं थे जिससे मैं भूखंड बेच सकूं। यह सारे आरोप गलत है और न्यायालय ने भी इस पर मुझे क्लीन चिट दे दी है।
पुलिस ने सर्वेश दीक्षित को उपायुक्त जहीरूद्दीन की तहरीर पर दर्ज मुकदमा में गिरफ्तार किया है। जिसमें वर्ष 2017- 18 में सहायक आयुक्त सर्वेश कुमार दीक्षित पुत्र कमल कांत दीक्षित निवासी जनपद लखीमपुर खीरी द्वारा 50 हजार वर्ग फिट रिक्त पड़ी भूमि को फर्जी तरीके से अपने पक्ष में पत्र तथा शपथ पत्र बनाकर आयुक्त रामविलास बाजपेई के फर्जी तरीके से हस्ताक्षर कर व उपायुक्त उद्योग की मोहर लगाकर भूखंडों को अवैध तरीके से बेचने का मामला था। यह मुकदमा 15 जून 2021 को कोतवाली में दर्ज कराया गया था। इस मामले में धारा 420, 467,468 के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था। इसके अलावा धारा 409 कोतवाली नगर 386, 504,506 थाना गिंरवा व कोतवाली में 66, 67 आईटी एक्ट के तहत मुकदमा पंजीकृत है। जिस पर उनकी गिरफ्तारी की गई है।