कानपुर: वैश्विक महामारी कोरोना के चलते पिछले वर्ष कानपुर में भी जन्माष्टमी का पर्व फीका रहा, लेकिन इस वर्ष धूमधाम से मनाने की तैयारी है। इसको देखते हुए प्रशासन ने भी रात्रि कर्फ्यू में ढील कर दी और श्रद्धालु कान्हा के जन्म का उत्सव मना सकेंगे। वहीं मौसम का मिजाज भी आज बदला हुआ है और आसमान में काले बादल छाये हुए हैं, जिससे उन पुरातन कहानियों का बल मिल रहा है जिसमें कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म काली घटा के बीच हुआ था। आसमान में छाये काले बादल से कानपुर कान्हामय दिख रहा है और शहर के सभी प्रमुख राधा कृष्ण मंदिरों में सजावट हो चुकी है।
कानपुर में भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव की तैयारियों अपने अंतिम चरणों में पहुंच गई है। कोरोना के चलते इस बार भी प्रमुख मंदिरों में सार्वजनिक आयोजन नहीं हो रहे हैं। लेकिन पिछले वर्ष की अपेक्षा अबकी बार श्रद्धालुओं को निराश नहीं होना पड़ेगा और इस्कान मंदिर के साथ जेके मंदिर प्रबंधन ने तकनीक का सहारा लिया है। इन दोनों मंदिरों में सदैव की भांति सजावट की गई है और धूमधाम से श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाएगा। यह अलग बात है कि कोरोना के चलते श्रद्धालुओं को मंदिर में प्रवेश नहीं दिया जाएगा। जेके मंदिर के बाहर श्रद्धालुओं के लिए बड़ी सी एलईडी स्क्रीन लगाई गई है तो वहीं इस्कान मंदिर आनलाइन भक्तों को दर्शन कराएगा। इसके साथ ही 116 साल पुराने शिवाला मंदिर में भी सुबह से ही जन्माष्टमी की तैयारियां की जा रही हैं। इन सभी मंदिरों में भले ही श्रद्धालुओं का प्रवेश न दिया जाए, लेकिन जिस प्रकार तकनीकी तैयारियां की गई हैं और प्रशासन ने रात्रि कर्फ्यू में छूट दी है उससे संभावना है कि भक्तों को जन्माष्टमी पर निराशा हाथ नहीं लगेगी।
रात्रि पूजन में शामिल होंगे सीमित भक्त
प्राचीन दक्षिण भारतीय मंदिर महाराज प्रयाग नारायण शिवाला में श्री कृष्ण जन्माष्टमी उत्सव परंपरागत रूप से शुरू हो गया है। सुबह में मंदिर के गर्भ ग्रह में स्थापित विग्रह को दूध, दही, हल्दी, चंदन, गुलाब जल और गंगाजल से स्नान कराया गया। मंदिर के व्यास पंडित करुणा शंकर प्रधान अर्चक आचार्य सूरज देव अर्पित अश्वनी और मंदिर अध्यक्ष मुकुल विजय नारायण तिवारी प्रबंधक अभिनव नारायण तिवारी और वैष्णव भक्त राघव तिवारी ने वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच पूजन कियाा। मुकुल विजय नारायण तिवारी ने बताया कि रात्रि 12:00 बजे मंदिर में रखे ऐतिहासिक विशाल नगाड़ों तथा शंखनाद के बीच नंदलाला का जन्मोत्सव का आयोजन किया जाएगा। इस बार संक्रमण के चलते आयोजन को सीमित किया गया है। सीमित भक्तों को ही रात्रि पूजन में शामिल किया जाएगा।