UPI News: डिजिटल ट्रांजैक्शन की बढ़ती रफ्तार के बीच अब भारत में UPI (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) सबसे भरोसेमंद और तेज भुगतान माध्यम बन चुका है। लेकिन कर्नाटक में हाल ही में 6000 से अधिक व्यापारियों को UPI आधारित GST नोटिस जारी होने से व्यापार जगत में हड़कंप मच गया है। इस कदम के खिलाफ कई व्यापारिक संगठनों ने UPI बहिष्कार और हड़ताल का ऐलान भी कर दिया है।
क्यों मिले GST नोटिस?
कर्नाटक के वाणिज्यिक कर विभाग ने यह स्पष्ट किया कि भेजे गए नोटिस अंतिम टैक्स डिमांड नहीं हैं, बल्कि वे उन व्यापारियों की पहचान के लिए हैं जो संभवतः बिना GST रजिस्ट्रेशन के उच्च UPI लेनदेन कर रहे हैं।
विभाग की जॉइंट कमिश्नर मीरा सुरेश पंडित के अनुसार, सेवा विश्लेषण शाखा ने UPI लेनदेन डेटा की सहायता से संभावित कर चूककर्ताओं को चिह्नित किया। अगर कोई व्यापारी एक वित्तीय वर्ष में सेवाओं के लिए ₹20 लाख या वस्तुओं के लिए ₹40 लाख से अधिक का कारोबार करता है, तो वह GST पंजीकरण के लिए अनिवार्य रूप से उत्तरदायी होता है।
यदि व्यापारी छूट योग्य सेवाएं जैसे ट्यूशन या धार्मिक सेवाएं प्रदान कर रहे हैं, तो वे संबंधित दस्तावेज प्रस्तुत कर नोटिस को रद्द करवा सकते हैं।
व्यापारियों में असमंजस और नाराज़गी
GST नोटिस को लेकर कई व्यापारियों में भ्रम और ग़लतफ़हमी फैल गई है। व्यापार संघों का कहना है कि सरकार ने सिर्फ ट्रांजैक्शन डेटा के आधार पर उन्हें टैक्स चोर मान लिया, जिससे व्यवसायियों की छवि को नुकसान हुआ है।
व्यापार संघों ने UPI लेनदेन रोकने और हड़ताल की चेतावनी दी है। हालांकि, टैक्स विभाग ने स्पष्ट किया कि यदि व्यापारी उचित उत्तर और दस्तावेज देंगे, तो जांच शून्य टैक्स देनदारी के साथ समाप्त हो सकती है।
सरकार की ओर से बड़ा स्पष्टीकरण
इस विवाद के बीच वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने राज्यसभा में कहा कि UPI ट्रांजैक्शन पर GST लगाने का कोई प्रस्ताव नहीं है। उन्होंने यह भी बताया कि GST काउंसिल, जो केंद्र और राज्यों की साझा संस्था है, ने ऐसी कोई सिफारिश नहीं की है।
इस स्पष्टीकरण ने आम नागरिकों और व्यापारियों को बड़ी राहत दी है, जो डर रहे थे कि डिजिटल ट्रांजैक्शन पर अतिरिक्त टैक्स देना पड़ सकता है।
डिजिटल इंडिया को मिलेगा मजबूती
आज UPI भारत का सबसे तेज़, सुरक्षित और शुल्क-मुक्त डिजिटल भुगतान माध्यम बन गया है। छोटे दुकानदारों से लेकर बड़े कारोबारी तक इसका उपयोग कर रहे हैं। सरकार की ओर से यह स्पष्ट रुख डिजिटल लेनदेन को और प्रोत्साहित करने वाला कदम है।
संवाद और साक्ष्य से सुलझेगा विवाद
जहां एक ओर सरकार कर प्रणाली को पारदर्शी और स्वचालित बनाने की दिशा में कदम बढ़ा रही है, वहीं व्यापारियों को भी अपने कारोबार की वास्तविक स्थिति और दस्तावेजों के साथ जवाब देना चाहिए।
UPI डेटा के आधार पर भेजे गए नोटिस का मतलब यह नहीं कि कर देनदारी तय हो चुकी है। संवाद और स्पष्टीकरण से ही यह विवाद हल हो सकता है, न कि हड़ताल से।
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