गुजरात के सूरत कोर्ट ने आपराधिक मानहानि के मामले में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और वायनाड के पूर्व संसद राहुल गांधी को दोषी करार देते हुए 2 साल की सजा सुनाई है। जिसके बाद लोकसभा सचिवालय ने जनप्रतिनिधि कानून के तहत कांग्रेस नेता राहुल गाँधी की संसद सदस्यता समाप्त करने की घोषणा कर दी है। जिस जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत राहुल गाँधी की सदस्यता समाप्त हुई है अब उसके प्रावधानों को खत्म करने के लिए सर्वोच्य न्यायालय में याचिका दाखिल की गयी है। बता दें कि केरल की रहने वाली आभा मुरलीधरन ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के मामले का हवाला देते हुए देश के सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की है। याचिका में आभा मुरलीधरन ने जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 8(3) को असंवैधानिक करार देने की मांग की है।
सांसद से पूर्व सांसद हुए राहुल गांधी
उल्लेखनीय है कि केरल की वायनाड संसदीय सीट से लोकसभा सांसद रहे राहुल गांधी को 24 मार्च को लोकसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य ठहराया गया है। लोकसभा सचिवालय ने अधिसूचना जारी कर कहा कि उनकी अयोग्यता संबंधी आदेश 23 मार्च से ही प्रभावी होगा। अधिसूचना में बताया गया है कि राहुल गांधी को संविधान के अनुच्छेद 102 (1) और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 धारा 8 के तहत अयोग्य घोषित किया गया है।
क्या कहता है जन प्रतिनिधित्व अधिनियम-1951?
जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के तहत दो साल या उससे अधिक समय के लिए कारावास की सजा पाने वाले व्यक्ति को ‘दोष सिद्धि की तारीख से’ अयोग्य घोषित किया जाता है। इसी के साथ, वो व्यक्ति सजा पूरी होने के बाद जन प्रतिनिधि बनने के लिए छह साल तक आयोग्य ही रहेगा। इसका साफ़ मतलब है कि अगर सजा का फैसला बरकरार रहता है तो व्यक्ति 8 साल तक कोई चुनाव नहीं लड़ पाएगा।

