Noida Authority: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नोएडा प्राधिकरण के उस विवादित फैसले को रद्द कर दिया है, जिसमें सेक्टर-168 स्थित लोटस ज़िंग प्रोजेक्ट के कई टावरों को बकाया राशि के आधार पर सील करने का आदेश दिया गया था। कोर्ट ने इसे “प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन” करार देते हुए अवैध घोषित किया। यह ऐतिहासिक आदेश 3 दिसंबर को जस्टिस मनोज कुमार गुप्ता और जस्टिस अनीश कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने सुनाया।
क्या है मामला?
लोटस ज़िंग परियोजना के डेवलपर थ्री सी प्रोजेक्ट्स ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर कर नोएडा प्राधिकरण के सीलिंग आदेश को चुनौती दी थी। डेवलपर ने अपनी दलील में कहा कि प्राधिकरण ने बिना पूर्व नोटिस और सुनवाई का मौका दिए टावरों को सील कर दिया। डेवलपर के वकील ने दावा किया कि प्राधिकरण द्वारा उठाया गया यह कदम “मशीनी और गैर-कानूनी” था, जिससे उन्हें अपूरणीय क्षति हुई।
डेवलपर ने कोर्ट को यह भी बताया कि जिन निर्माण कार्यों का प्राधिकरण ने जिक्र किया, वे केवल मामूली मरम्मत और फिनिशिंग के कार्य थे, जो स्वीकृत योजना के अंतर्गत किए जा रहे थे।
नोएडा प्राधिकरण की दलील
नोएडा प्राधिकरण ने अपने पक्ष में तर्क दिया कि डेवलपर ने परियोजना के लिए अब तक कंप्लीशन सर्टिफिकेट (पूर्णता प्रमाणपत्र) प्राप्त नहीं किया है, जबकि स्वीकृत योजना की वैधता समाप्त हो चुकी है। प्राधिकरण ने यह भी आरोप लगाया कि डेवलपर ने बिना जरूरी मंजूरी के निर्माण कार्य जारी रखा। इसी कारण 16 अक्टूबर को टावरों को सील करने का निर्णय लिया गया था।
कोर्ट ने क्या कहा?
कोर्ट ने प्राधिकरण के इन तर्कों को खारिज कर दिया और कहा कि बिना उचित प्रक्रिया का पालन किए टावरों को सील करना “अवैध” है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि डेवलपर को सुनवाई का उचित अवसर दिए बिना कोई भी कार्रवाई करना प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है।
अदालत ने अपने आदेश में निर्देश दिया कि:
- नोएडा प्राधिकरण डेवलपर को एक सप्ताह के भीतर कारण बताओ नोटिस जारी करे।
- डेवलपर को नोटिस का जवाब देने के लिए दो सप्ताह का समय दिया जाए।
- जवाब की समीक्षा के बाद, प्राधिकरण इस मुद्दे पर नया आदेश पारित करे।
कोर्ट ने यह भी कहा कि अंतिम निर्णय आने तक डेवलपर को साइट पर कोई संरचनात्मक परिवर्तन या नया निर्माण करने से रोका जाएगा।
572 करोड़ रुपये का बकाया
नोएडा प्राधिकरण ने कोर्ट को बताया कि लोटस ज़िंग परियोजना के तहत डेवलपर पर 572 करोड़ रुपये की बकाया राशि है। इस परियोजना में कुल 16 टावर हैं, जिनमें से दो टावरों को सील कर दिया गया था।
निवासियों का कहना है कि शुरुआत में चार टावरों में फ्लैटों का कब्जा दे दिया गया था, जबकि अन्य आठ टावरों की बाहरी संरचनाएं पूरी हो चुकी हैं। बाकी टावरों में निर्माण कार्य अधूरा है।
निवासियों की चिंता
लोटस ज़िंग के निवासियों ने कहा कि प्राधिकरण और डेवलपर के बीच चल रहे विवाद के कारण वे अनिश्चितता और असुविधा का सामना कर रहे हैं। जिन फ्लैटों में निवासियों को कब्जा दिया गया है, वहां बुनियादी सुविधाओं की भी कमी है
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आगे क्या होगा?
कोर्ट के आदेश के बाद, अब गेंद नोएडा प्राधिकरण के पाले में है। प्राधिकरण को निर्धारित समय सीमा के भीतर डेवलपर को कारण बताओ नोटिस जारी करना होगा और डेवलपर के जवाब पर विचार करके नया आदेश पारित करना होगा।