Lucknow News: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक रिटायर्ड अधिकारी को संविदा के आधार पर डीजी फायर सर्विस के अधीन गोपनीय सहायक (Confidential Associate) जैसे अति संवेदनशील पद पर तैनात किए जाने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। यह सवाल अब चर्चा में है कि आखिर एक सेवानिवृत्त व्यक्ति को इस प्रकार के गोपनीय और रणनीतिक पद पर क्यों नियुक्त किया गया?
सेवानिवृत्त अधिकारी को गोपनीय पद पर तैनात करने की जरूरत क्यों?
गोपनीय पदों पर नियुक्ति का उद्देश्य होता है कि उस पर कार्यरत व्यक्ति मौजूदा प्रशासनिक गतिविधियों, आंतरिक दस्तावेजों, और सुरक्षा से जुड़े विषयों को संभाल सके। ऐसे में एक रिटायर्ड अधिकारी को दोबारा उसी संवेदनशील भूमिका में तैनात करना कई अहम सवालों को जन्म देता है।
क्या इस तरह की नियुक्तियां नियमों और सुरक्षा मानकों के अनुरूप होती हैं? क्या वर्तमान में योग्य और कार्यरत अधिकारियों की कमी है, जो इस पद को भरने के लिए सेवानिवृत्त व्यक्ति को चुना गया?
राजधानी लखनऊ जैसे रणनीतिक स्थान पर तैनाती से और बढ़ा विवाद
यह तैनाती किसी साधारण जिले की नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की है, जहां राज्य सरकार, गृह विभाग और आपातकालीन सेवाओं के प्रमुख कार्यालय स्थित हैं। ऐसे में इस प्रकार के पदों पर किसी रिटायर्ड अधिकारी की तैनाती को लेकर कई नैतिक और प्रशासनिक सवाल खड़े हो रहे हैं।
सेवा नियमों और पारदर्शिता पर सवाल
सरकारी सेवा नियमों के अनुसार, संविदा पर नियुक्ति केवल विशेष परिस्थितियों में ही की जाती है, वह भी आवश्यकता और योग्यता के आधार पर। लेकिन गोपनीय और रणनीतिक पदों पर सेवानिवृत्त कर्मचारियों की तैनाती, खासकर सुरक्षा से जुड़े विभागों में, पारदर्शिता और गोपनीयता को खतरे में डाल सकती है।
विशेषज्ञों का कहना है कि गोपनीय सूचनाओं और फाइलों तक पहुंच केवल मौजूदा, सेवा में कार्यरत, और विधिवत जांचे-परखे अधिकारियों को दी जानी चाहिए।
विपक्ष और जनता में भी उठी चिंता की लहर
इस मामले को लेकर राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों ने भी अपनी आपत्ति दर्ज कराई है। उनका कहना है कि सरकार को इस तैनाती को लेकर सार्वजनिक रूप से स्पष्ट करना चाहिए कि रिटायर्ड अधिकारी को संविदा पर गोपनीय पद क्यों सौंपा गया।
आम नागरिकों में भी यह आशंका है कि क्या यह तैनाती निष्पक्ष प्रशासन की दिशा में उठाया गया कदम है या किसी व्यक्ति विशेष को लाभ पहुंचाने की कवायद?
सरकार की मामले पर जवाबदेही
उत्तर प्रदेश सरकार को इस मामले में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करनी चाहिए। गोपनीय पदों की संवेदनशीलता को देखते हुए, तैनात व्यक्तियों की नियुक्ति में पूर्णत: नियमों, योग्यता और सेवा शर्तों का पालन होना चाहिए, जिससे न केवल प्रशासनिक विश्वास बना रहे, बल्कि सुरक्षा और गोपनीयता भी सुरक्षित रहे।
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