Himachal Car Accident: चंबा जिले में एक दर्दनाक हादसे में एक ही परिवार के पांच सदस्यों समेत छह लोगों की मौत हो गई। यह घटना गुरुवार रात उस वक्त घटी, जब यह परिवार बनिखेत से लौट रहा था और अचानक एक भारी चट्टान उनकी कार पर आ गिरी। इससे कार का संतुलन बिगड़ गया और वह 500 मीटर गहरी खाई में जा गिरी।
हादसे की भयावह रात
यह हादसा चुराह उपमंडल के भांजराड़ू-शाहवा-भड़कवास रोड पर रात करीब 9:30 बजे हुआ। हादसे की जगह, यानी जहां कार गिरी, पीड़ित परिवार के घर से महज़ एक किलोमीटर की दूरी पर थी। कार (HP 44 4246) बनिखेत से लौट रही थी, और रास्ते में भयंकर बारिश के कारण ढलान से एक बड़ी चट्टान गिर गई, जिसने चलती कार को सीधा टक्कर मार दी। इस टक्कर के बाद कार अनियंत्रित होकर सड़क से नीचे खाई में जा गिरी।
स्थानीय लोगों ने रात के सन्नाटे में एक ज़ोरदार धमाका और मदद की चीखें सुनीं। जब वे मौके पर पहुंचे तो उन्होंने हादसे की गंभीरता को देखा और तुरंत पुलिस को सूचना दी। पुलिस और राहत दल को शवों को निकालने में करीब 6 घंटे लग गए क्योंकि कार 500 मीटर नीचे गिरी थी और बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुकी थी।
मृतकों की पहचान
- राजेश (36 वर्ष) – बनिखेत के एक सरकारी स्कूल में शिक्षक थे।
- हंसो (36 वर्ष) – राजेश की पत्नी।
- दीपक (15 वर्ष) – राजेश का बेटा।
- आरती (17 वर्ष) – राजेश की बेटी।
- हेमराज – राजेश का साला (पत्नी का भाई)।
- एक अन्य व्यक्ति, जिसे परिवार ने रास्ते में लिफ्ट दी थी।
हादसे की संभावित वजह
प्रशासन के अनुसार, लगातार बारिश की वजह से पहाड़ों से चट्टानों के खिसकने का खतरा बढ़ गया है। शुरुआती जांच में ऐसा माना जा रहा है कि तेज बारिश के कारण ढलान से एक भारी चट्टान नीचे गिरी और कार से टकरा गई, जिससे वह खाई में जा गिरी। हालांकि पुलिस ने अभी तक हादसे की वजह को औपचारिक रूप से घोषित नहीं किया है और मामले की जांच जारी है।
सरकारी कार्रवाई
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस हादसे पर शोक व्यक्त करते हुए कहा,
“चंबा जिले के तिस्सा क्षेत्र के चनवास में कार दुर्घटना में 6 लोगों की मौत का समाचार अत्यंत दुखद और पीड़ादायक है। दुख की इस घड़ी में मैं शोकाकुल परिवार के प्रति गहरी संवेदना प्रकट करता हूं। ईश्वर दिवंगत आत्माओं को शांति और परिवार को संबल प्रदान करे। ओम शांति।”
मुख्यमंत्री ने जिला प्रशासन को निर्देश दिए हैं कि मृतकों के परिजनों को जल्द से जल्द मुआवजा प्रदान किया जाए और पहाड़ी इलाकों में वाहनों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।
सवाल उठाते लोग
स्थानीय लोगों ने इस हादसे को लेकर नाराजगी भी जाहिर की है। उनका कहना है कि राज्य में हर साल बारिश के मौसम में लैंडस्लाइड और चट्टानों के गिरने से जानें जाती हैं, लेकिन सरकार द्वारा स्थायी समाधान नहीं किया जाता।
सड़क किनारे सुरक्षा दीवारें, संकेत बोर्ड और बारिश के दिनों में खतरनाक इलाकों में निगरानी टीमों की तैनाती जैसे कदम अब तक नहीं उठाए गए हैं। लोगों का सवाल है:
“क्या यह हादसा टाला नहीं जा सकता था, अगर प्रशासन पहले से खतरे की चेतावनी देता या सड़क बंद कर देता?”
हिमाचल जैसे पहाड़ी राज्यों में हर साल इस तरह के हादसे होते हैं, लेकिन उनमें से अधिकतर केवल “प्राकृतिक आपदा” कहकर भुला दिए जाते हैं। इस हादसे ने एक पूरे परिवार को खत्म कर दिया, और एक बार फिर सिस्टम की लापरवाही पर सवाल खड़े कर दिए हैं। ज़रूरत है कि ऐसे हादसों से सबक लिया जाए और आने वाले समय में जान-माल की हानि को रोका जा सके।
हमारी इंटर्न सुनिधि सिंह द्वारा लिखित
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