Hariyali Amavasya 2025: हरियाली अमावस्या सावन माह की अमावस्या तिथि को मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो वर्ष 2025 में 24 जुलाई, गुरुवार को मनाया जा रहा है। यह दिन न केवल भगवान शिव की आराधना के लिए विशेष माना जाता है, बल्कि प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने और पूर्वजों को श्रद्धांजलि देने का भी प्रतीक है।
हरियाली अमावस्या 2025 की तिथि और समय
- अमावस्या तिथि प्रारंभ: 24 जुलाई 2025, प्रातः 02:29 बजे
- अमावस्या तिथि समाप्त: 25 जुलाई 2025, प्रातः 12:41 बजे
इस शुभ तिथि को उत्तर भारत में विशेष रूप से राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और दिल्ली में अत्यंत श्रद्धा से मनाया जाता है।
शिव उपासना से लेकर पूर्वज तर्पण तक
हरियाली अमावस्या शिव भक्ति और पितृ तर्पण का अद्भुत संगम है। यह दिन भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए उत्तम माना गया है। सावन का महीना शिव को अति प्रिय है, और अमावस्या तिथि पर उनका विशेष पूजन कर भक्त सुख-समृद्धि की कामना करते हैं।
इसके साथ ही, यह दिन पूर्वजों को याद करने और उनका तर्पण करने के लिए भी विशेष है। पवित्र जल में स्नान कर, ‘पितरों’ के निमित्त पूजा-अर्चना और दान-पुण्य किए जाते हैं, जिससे कुल में सुख और शांति बनी रहती है।
पौधारोपण और पर्यावरण संरक्षण का संदेश
हरियाली अमावस्या का मूल भाव है प्रकृति के प्रति सम्मान और संरक्षण का संकल्प। इस दिन लोग पीपल, तुलसी, बरगद आदि पवित्र पौधे लगाते हैं। खासकर पीपल वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व है, जो शाश्वत ऊर्जा और जीवन का प्रतीक माना जाता है।
पौधे लगाना इस दिन केवल परंपरा नहीं, बल्कि पर्यावरण के प्रति हमारा दायित्व भी है। यह पर्व हर मन में हरियाली, शांति और सृजनशीलता का संदेश देता है।
पूजा विधि: घर पर कैसे करें हरियाली अमावस्या की पूजा
- प्रातःकाल सूर्योदय से पूर्व उठें और स्नान करें।
- पवित्र स्थान पर दीपक जलाएं और भगवान शिव की प्रतिमा या चित्र पर बेलपत्र, धतूरा, पुष्प और जल अर्पित करें।
- ॐ नमः शिवाय मंत्र का जप करें और आरती करें।
- पूर्वजों के निमित्त जल अर्पण (तर्पण) करें और ब्राह्मण को भोजन व दक्षिणा दें।
- पीपल के पेड़ की पूजा करें और उसमें जल चढ़ाकर दीपक जलाएं।
- संभव हो तो व्रत रखें और दिन में एक बार सात्विक भोजन करें।
हरियाली अमावस्या के क्षेत्रीय उत्सव
राजस्थान में इस दिन तेजाजी मेलों और धार्मिक झांकियों का आयोजन होता है, जबकि उत्तर भारत के अन्य क्षेत्रों में लोग परिवार सहित पार्कों या मंदिर परिसरों में पौधे लगाकर इसे मनाते हैं। महिलाएं इस दिन हरियाली तीज के लिए भी तैयारी करती हैं।
हरियाली और आध्यात्मिकता का पर्व
हरियाली अमावस्या केवल एक तिथि नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति में प्रकृति और अध्यात्म के समन्वय का प्रतीक है। यह हमें स्मरण कराता है कि जैसे हरियाली जीवन में सुख और ताजगी लाती है, वैसे ही पुण्य कार्य, पूजा और पर्यावरण के प्रति सम्मान हमें आत्मिक शांति और समृद्धि प्रदान करते हैं।
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