Gyanvapi Masjid Case: वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर से जुड़ा विवाद एक बार फिर सुर्खियों में है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वजूखाने के वैज्ञानिक सर्वेक्षण की मांग पर दायर याचिका की सुनवाई मंगलवार को की और अब अगली सुनवाई के लिए 10 नवंबर 2025 की तारीख तय की है।
यह याचिका हिंदू पक्ष की ओर से दाखिल की गई थी, जिसमें आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) से वजूखाने का वैज्ञानिक सर्वे कराने की मांग की गई थी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट में हुई सुनवाई
इलाहाबाद हाईकोर्ट की जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की सिंगल बेंच ने मंगलवार को इस मामले की सुनवाई की। हाईकोर्ट ने कहा कि इस केस से जुड़े अन्य मामलों के साथ इसे भी एक साथ सुना जाएगा, ताकि विवादित हिस्से के सर्वेक्षण पर एक समान दृष्टिकोण अपनाया जा सके।
अब अदालत ने अगली सुनवाई की तारीख 10 नवंबर 2025 तय की है।
हिंदू पक्ष ने रखी वजूखाने के सर्वे की मांग
हिंदू पक्ष की ओर से श्रृंगार गौरी केस की मुख्य वादिनी राखी सिंह ने हाईकोर्ट में एक रिवीजन याचिका दाखिल की थी। इस याचिका में उन्होंने 21 अक्टूबर 2023 को वाराणसी सिविल कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले को चुनौती दी है।
राखी सिंह ने अपनी अर्जी में कहा कि जैसे ज्ञानवापी परिसर के अन्य हिस्सों का सर्वे कराया गया है, वैसे ही वजूखाने का भी वैज्ञानिक सर्वे कराया जाए, ताकि वास्तविक स्थिति स्पष्ट हो सके।
स्वयंभू लार्ड आदि विशेश्वर से जुड़ी याचिका भी जोड़ी गई
हाईकोर्ट ने इस केस के साथ स्वयंभू लार्ड आदि विशेश्वर से जुड़ी दूसरी याचिका को भी संलग्न कर लिया है। अब दोनों याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई की जाएगी, जिससे पूरे ज्ञानवापी परिसर से जुड़े विवादों पर समग्र निर्णय लिया जा सके।
सिविल कोर्ट ने पहले खारिज की थी याचिका
इससे पहले वाराणसी सिविल जज की अदालत ने हिंदू पक्ष की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें पूरे ज्ञानवापी परिसर का एएसआई सर्वे कराने की मांग की गई थी।
तब हिंदू पक्ष के वकील विजय शंकर रस्तोगी ने कहा था कि वे इस फैसले के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट का रुख करेंगे। इसी के बाद यह मामला हाईकोर्ट में पहुंचा और अब सुनवाई जारी है।
क्या है ज्ञानवापी वजूखाने का विवाद?
ज्ञानवापी परिसर में स्थित वजूखाना वह हिस्सा है, जहां मुस्लिम समुदाय नमाज से पहले वजू करता है।
हिंदू पक्ष का दावा है कि वजूखाने के भीतर प्राचीन शिवलिंग जैसे अवशेष मौजूद हैं और इसलिए इसका वैज्ञानिक सर्वे होना जरूरी है। वहीं मुस्लिम पक्ष का कहना है कि यह दावा निराधार है और इससे धार्मिक सौहार्द बिगड़ सकता है।
10 नवंबर को तय होगी अगली कानूनी रणनीति
अब सबकी निगाहें 10 नवंबर की सुनवाई पर टिकी हैं। हाईकोर्ट के इस फैसले से यह स्पष्ट होगा कि वजूखाने के वैज्ञानिक सर्वे को हरी झंडी मिलती है या नहीं।
हिंदू पक्ष इसे धार्मिक और ऐतिहासिक सत्य की खोज मानता है, जबकि मुस्लिम पक्ष इसे संवेदनशील धार्मिक स्थल का उल्लंघन बताता है।
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