Delhi News: दक्षिण दिल्ली के छतरपुर, महरौली और फतेहपुर बेरी जैसे इलाकों में वर्षों पहले विकास के नाम पर जो वादे किए गए थे, वे अब उम्मीदों की जगह मायूसी में बदलते जा रहे हैं। दिल्ली सरकार द्वारा ग्राम सभा की 70 बीघा से अधिक भूमि शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य नागरिक सुविधाओं के लिए विभिन्न सरकारी एजेंसियों को आवंटित की गई थी। लेकिन 8 साल बीत जाने के बाद भी आज तक वहां निर्माण कार्य शुरू नहीं हो सका।
कॉलेज और अस्पताल की जगह बन रहा ‘डीम्ड फॉरेस्ट’
यह जमीन अब उजड़ी उम्मीदों की पहचान बन गई है। जहां लोगों को कॉलेज, स्कूल, वेटरनरी हॉस्पिटल और बारात घर की सुविधा मिलने की उम्मीद थी, वहां आज घास और झाड़ियाँ उग आई हैं। हालात ये हैं कि यह क्षेत्र अब डीम्ड फॉरेस्ट में तब्दील हो रहा है। आसपास के लोगों का कहना है कि सरकार ने केवल शिलान्यास की पट्टियां लगाईं, लेकिन काम एक इंच भी आगे नहीं बढ़ा।
2018 में हुआ था ज़मीन का आवंटन, अब तक अधूरा काम
जून 2018 में दिल्ली सरकार के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट (साउथ) द्वारा फतेहपुर बेरी के खसरा नंबर 1307 की 70 बीघा 11 बीस्वा जमीन दिल्ली यूनिवर्सिटी, शिक्षा निदेशालय, दिल्ली जल बोर्ड, पशुपालन विभाग और अन्य एजेंसियों को आवंटित की गई थी।
जमीन का आवंटन इस प्रकार किया गया था:
- कॉलेज: 48 बीघा 10 बिस्वा
- सीनियर सेकेंडरी स्कूल: 10 बीघा 15 बिस्वा
- सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP): 2 बीघा
- वेटरनरी हॉस्पिटल: 1 बीघा 10 बिस्वा
- बारात घर: 3 बीघा
- पार्क (पहले से आवंटित): 16 बीघा (SDMC, बागवानी विभाग को)
लेकिन आज तक केवल कॉलेज की बाउंड्री वॉल और शिलापट्ट ही लगाए गए हैं।
सिर्फ शिलान्यास, न कोई नींव न निर्माण
कॉलेज की दीवार पर लगे पत्थर की पट्टी पर लिखा है कि शिलान्यास दिल्ली यूनिवर्सिटी के तत्कालीन कार्यवाहक कुलपति प्रो. पीसी जोशी द्वारा किया गया था। इस कार्यक्रम में दक्षिणी दिल्ली के सांसद रमेश बिधूड़ी भी मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद थे। मगर यह शिलान्यास वास्तविक निर्माण में तब्दील नहीं हो सका।
स्थानीय लोगों ने पीएम मोदी से लगाई गुहार
स्थानीय निवासी रिशिपाल महाशय सहित कई लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर विकास कार्य शुरू कराने की अपील की है। उनका कहना है कि क्षेत्र में निकटतम कॉलेज अरविंदो कॉलेज है, जो 15 से 18 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
लोगों की अपेक्षा है कि पीएम मोदी के हस्तक्षेप से अब ये योजनाएं 1-2 साल में शुरू हो सकती हैं। लेकिन जब तक काम जमीन पर नहीं दिखता, तब तक यह सिर्फ उम्मीद ही बनी रहेगी।
सरकार की योजनाएं फाइलों में
दिल्ली के बाहरी इलाकों के लोग आज भी आधुनिक नागरिक सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। 8 साल बीतने के बावजूद सरकार की योजनाएं फाइलों और शिलान्यास पत्थरों तक सीमित हैं। अब देखना यह है कि क्या प्रधानमंत्री मोदी के संज्ञान में मामला आने के बाद जमीनी बदलाव नजर आता है या यह योजना भी सिर्फ राजनीतिक घोषणाओं की तरह अधूरी ही रह जाती है।
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