Delhi News: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में एक बार फिर डीडीए का बुलडोजर गरज सकता है। दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के उपाध्यक्ष को यमुना नदी और नालों के किनारे अतिक्रमण और अवैध निर्माण हटाने का निर्देश दिया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव की पीठ ने डीडीए के उपाध्यक्ष को इस कार्य के लिए नोडल अधिकारी भी नियुक्त किया है। कोर्ट ने अधिकारियों को एमसीडी, दिल्ली पुलिस, डीएमआरसी, पीडब्ल्यूडी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और वन विभाग के साथ समन्वय स्थापित करने का निर्देश दिया है।
याचिका में अतिक्रमण हटाने की मांग
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि डीडीए के उपाध्यक्ष एक सप्ताह के भीतर संबंधित अधिकारियों की बैठक बुला सकते हैं। हाईकोर्ट की पीठ ने यह आदेश शबनम बार्ने की याचिका का निपटारा करते हुए जारी किया, जिसमें यमुना नदी के किनारों पर अवैध अतिक्रमण हटाने की मांग की गई थी। याचिका में कोर्ट से शहर के अधिकारियों को यमुना के किनारों और डूब क्षेत्र से अतिक्रमण हटाने का आदेश देने का आग्रह किया गया था।
अदालत ने दिया निर्देश
अदालत में एमसीडी के वकील ने कहा कि अतिक्रमण हटाने के लिए तत्काल कार्रवाई की जरूरत है और डीडीए के उपाध्यक्ष को नोडल अधिकारी नियुक्त करने से यमुना के किनारों और डूब क्षेत्र से सभी अवैध निर्माणों को हटाने में मदद मिल सकती है। याचिका में उठाए गए बिंदुओं पर विचार करते हुए अदालत ने डीडीए के उपाध्यक्ष को यमुना नदी के किनारों पर सभी अवैध निर्माणों को ध्वस्त करने का निर्देश दिया। मामले का निपटारा करते हुए अदालत ने उपाध्यक्ष को छह सप्ताह के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट अदालत में पेश करने का भी निर्देश दिया।

