दिल्ली पुलिस ने साल 2019 के जामिया हिंसा मामले में शरजील इमाम, सफूरा जरगर, आसिफ इकबाल तन्हा और आठ अन्य को आरोपमुक्त करने संबंधी निचली अदालत के आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दिया था। जिसके बाद आज दिल्ली उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के फैसले को पलट दिया है। हिंसा समेत अन्य आइपीसी की धाराओं के तहत इमाम, जरगर, तन्हा समेत अन्य पर आरोप तय करते हुए कोर्ट ने निचली अदालत के निर्णय को रद्द कर दिया है।
बता दें कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने 11 में से 9 आरोपियों के खिलाफ दंगा, गैरकानूनी विधानसभा, लोक सेवकों को बाधित करने और अन्य धाराओं से संबंधित धाराओं के तहत आरोप लगाया है। मोहम्मद कासिम, महमूद अनवर, शजर रजा, उमैर अहमद, मोहम्मद बिलाल नदीम, शरजील इमाम, सफूरा जरगर और चंदा यादव पर कोर्ट ने दंगे से जुड़ी कई धाराओं में आरोपी बनाया है।
न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा की पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि शांतिपूर्ण सभा का अधिकार उचित प्रतिबंधों के अधीन है और हिंसा या हिंसक भाषण’ सुरक्षित नहीं हैं। अदालत ने कुछ आरोपियों का जिक्र करते हुए कहा कि प्रथम दृष्टया, जैसा कि वीडियो में देखा जा सकता है, प्रतिवादी भीड़ की पहली पंक्ति में थे। वे दिल्ली पुलिस मुर्दाबाद के नारे लगा रहे थे और बेरिकेड्स को हिंसक रूप से धकेल रहे थे।
गौरतलब है कि दिल्ली पुलिस ने उच्च न्यायलय में याचिका दाखिल कर यह तर्क रखा था कि निचली अदालत ने कई अहम तथ्यों व गवाहों के बयानों को नजरअंदाज किया है। इसके अलावा बिना कारण जांच को लेकर कड़ी टिप्पणियां की हैं और इसे खारिज किया जाए।

